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लहसन (eBook)

उपन्यास (साहित्य)
Type: e-book
Genre: Literature & Fiction
Language: Maithili
Price: ₹50
(Immediate Access on Full Payment)
Available Formats: PDF

Description

एक दिस बैंकक कर्जक सूदि, जइमे रौदी-दाही किछु ने होइ छै, आ दोसर दिस तीन गोरेक परिवारक खर्चक बीच मेवालाल फँसि गेला। ओहुना बुझै छिऐ जे साधारण मेशोमे हजार-डेढ़-हजार महिना एक बेकतीक खर्च भेल। से तँ भेल सोझे रतुका-दिनक भोजन, मुदा जलखैक संग जिनगीमे साइयो अनेक खर्च तँ बाँकीए अछि। खेती सहजे नष्ट भऽ गेल। दोसर कोनो उपाय मेवालाल नहि देख रहल छला। ऐठाम दुनू बात अछि, दुनूक उपायो अछिए। गामक जे पानिक रूप अछि, तैठाम उपाय एकभग्गू भऽ गेल अछि। आ दोसर, लोकक मन-बुधिकेँ ई पकैड़ नेने अछि जे शहर-बजारमे ओहिना लोककेँ मुँह-मंगा भेटैए। ओना, जीवन-यापन करैक साधन गामक अपेक्षा शहर-बजारमे बेसी भइये गेल अछि। हजारो रंगक कारोबार पसरल अछिए, जे गाममे नइ अछि...।
प्रश्न उठैत अछि, की गामकेँ ओहिना तरमुहाँ छोड़ि देबै आकि पितृ भूमि, मातृ भूमि, मिथिला भूमि बुझि विचारि किछु करबो करबै? की खिखिरक फलकल नाँगैर जकाँ सोझे फलकल छी आकि लुक्खीक नाँगैर जकाँ सुर्राइतो छी? खाएर जे छी, जेतए छी, मौजसँ छी, नीक छी...।
हम सभ किसान छी, माटि-पानिक बीच बसल धरतीपर ओहन जीव बनि माटि-पानिसँ बनलो छी आ माटिये-पानिपर जीवो करै छी। साल भरिक चक्रमे किछु दिन पानि धरतीक निच्चाँमे रहैए आ किछु दिन धरतीक ऊपरोमे सेहो पसैर जाइए। माने, किछु दिन पानिक छातीपर चढ़ि माटि सवारी कसैए आ किछु दिन माटिक छातीपर चढ़ि पानि सवारी कसैए। बरसातक समय बाढ़ि-बर्खासँ धरतीक ऊपर पानि पसरल रहैए आ रौदी पाबि पानिकेँ तर करैत माटि ऊपर रहैए। मुदा दुनूमे जहिना उपज शक्ति छै तहिना संहार शक्ति सेहो छइहे। जइ रूपक संगम दुनूक बीच जखन होइए ओइ रूपक जीवधारीक जन्म होइए जइसँ धरतीक शोभा-सुन्दर निखारैए।
गाछ-बिरीछबला शोभा-सुन्दर गाम हुअए आकि दहाइत-भँसियाइत उजरल-उपटल गाम, ओइमे माल-जालसँ लऽ कऽ गाछ-बिरीछक संग लोको-वेद आ चिड़ैयो-चुनमुनी रहबे करत। तइमे जहिना चिड़ै-चुनमुनी आकि माल-जाल केम्हरो मटिबसू अछि आ केम्हरो पनिबसू, तहिना ने मनुखोक संग अछि, जे मनुखक काजो आ बुधियो-विचारमे देखल जा सकैए। खाएर जे अछि, जेतए अछि, तेकरा तेतै रहए दियौ, अपना सभ अप्पन विचार करू...।

About the Author

जगदीश प्रसाद मण्डल शिल्‍पी छैथ, कथ्यकेँ तेना समेट‍ लइ छैथ‍ जे पाठक विस्मि‍त रहि जाइत अछि। मुदा हिनका द्वारा कथ्यकेँ (कथा, उपन्‍यास, नाटक, प्रेरक-कथा सभमे) उद्देश्‍यपूर्ण बनेबाक आग्रह आ क्षमता हिनका मैथिली साहित्यमे ओइ स्थानपर स्थापित करैत अछि, जेतए-सँ मैथिली साहित्यक इतिहास “जगदीश प्रसाद मण्डलसँ पूर्व” आ “जगदीश प्रसाद मण्डलसँ” ऐ दू खण्डमे पाठित होएत।
समाजक सभ वर्ग हिनकर कथ्यमे भेटैत अछि आ से आलंकारिक रूपमे नै वरन अनायास, जे मैथिली साहित्य लेल एकटा हिलकोर एबाक समान अछि। हिनकर कथ्यमे केतौ अभाव-भाषण नै भेटत, सभ वर्गक लोकक जीवन शैलीक प्रति जे आदर आ गौरव ओ अपन कथ्यमे रखै छैथ से अद्भुत।
हिनकर कथ्यमे नोकरी आ पलायनक विरूद्ध पारम्‍परिक अजीविकाक गौरव महिमा मण्डि‍त भेटैत अछि। आ से प्रभावकारी होइत अछि हिनकर कथ्य आ कर्मक प्रति समान दृष्टि‍कोणक कारणसँ आ से अछि हिनकर बेकती‍गत आ समाजिक जीवनक श्रेष्ठताक कारणसँ। जे सोचै छी, जे करै छी; सएह लिखै छी तइ कारणसँ। यात्री आ धूमकेतु सन उपन्‍यासकार आ कुमार पवन आ धूमकेतु सन कथा-शिल्‍पीक अछैत मैथिली भाषा जनसामान्‍यसँ दूर रहल। मैथिली भाषाक आरोह-अवरोह मिथिलाक बाहरक लोककेँ सेहो आकर्षित करैत रहल आ ओइ भाषाक आरोह-अवरोहमे समाज-संस्कृति-भाषासँ देखौल जगदीशजीक सरोकारी साहित्य मिथिलाक समाजिक क्षेत्रटामे नै वरन आर्थिक क्षेत्रमे सेहो कान्ति‍ आनत।
विदेहमे हिनकर विभिन्न विधामे अनेको गद्य एवं पद्य ई-प्रकाशित भऽ विश्व भरिमे पसरल मैथिली भाषीकेँ दलमलित करैत मैथिली साहित्यक एकटा रिक्त स्थानक पूर्ति कऽ देने अछि।

गजेन्द्र ठाकुर सम्‍पादक- विदेह
(www.videha.co.in)

Book Details

ISBN: 9789387675636
Publisher: Pallavi Prakashan
Number of Pages: 128
Availability: Available for Download (e-book)

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