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आधुनिक विज्ञान की दृष्टि से एंट्रॉपी एक रहस्यमयी शक्ति है—वह प्रक्रिया जो व्यवस्था को अव्यवस्था में बदल देती है, ऊर्जा को बिखेर देती है और सृष्टि के हर कोने में अराजकता का बीज बो देती है। कल्कि अवतार की प्रतीक्षा में, हम एंट्रॉपी के चरम रूप का सामना कर रहे हैं—जीवन के हर क्षेत्र में व्याप्त अनुशासनहीनता। पर्यावरण का विघटन, समाज का विखंडन, अर्थव्यवस्था का अराजकता, तकनीक का अनियंत्रित विस्तार—सब कुछ एंट्रॉपी का शिकार है। यह पुस्तक यही संदेश देती है: इस युद्ध को जीतने के लिए प्रथम आवश्यक है कारण-प्रभाव का विश्लेषण। वैदिक ऋत (ऋत)—वह ब्रह्मांडीय व्यवस्था, जो सृष्टि के हर कण को बांधे रखती है। ऋत एंट्रॉपी का प्रतिद्वंद्वी है: कर्मफल का नियम, जो अव्यवस्था को पुनः व्यवस्था में बदल देता है। दशावतार की यात्रा यही सिद्ध करती है—जल से शरीर तक, बाहरी से आंतरिक, हर अवतार ने ऋत की पुनर्स्थापना की। आज, जब एंट्रॉपी हमें घेर रही है, हमें कल्कि की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए। स्वयं बनें अवतार: वैज्ञानिक विश्लेषण से ऋत को जागृत करें। यह पुस्तक उस मार्ग का संकलन है।
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