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बिखरी पंखुड़ियाँ
टी सिंह
“तेरे इश्क में डूब कर, बूंद से दरिया हो जाऊं,
शुरुआत करूं मैं तुझसे और तुझपे ही खत्म हो जाऊं।
जी हाँ, यही तो होता है इश्क़ जिसमें इंसान डूब जाता है अगर सच में ही इश्क हो गया हो तो! प्यार जब शारीरिक सीमाओं से ऊपर उठ जाता है तो दैविक हो जाता है और इसको ही इश्क़ कहते है। कुछ ही भयशाली लोग होते हैं जो अपने प्यार को इश्क़ की ऊंचाई तक पहुँचाने में सफल होते है।
इस पुस्तक में बहुत सी ऐसी कहानियां हैं जो आपको गुदगुदाएंगी, विचलित करेंगी, मुस्कुराने पर मजबूर कर देंगी, हंसाएंगी, और शायद आपकी आँखों को नम कर देंगी, लेकिन इतना तो हम यकीन से कह सकते हैं के प्यार की कहानियों के इस समुन्दर में डुबकी मारने के बाद आपका बाहर निकलने का मन ही नहीं करेगा।
इन कहानियों को पढ़ते हुए आपको जरूर ये एहसास होगा के आप भी किसी न किसी समय उस दौर से गुजर चुके हैं या गुजर रहे हैं जिस दौर से आप इन कहानियों के पात्रों को गुजरते हुए पढ़ेंगे और फिर उनके बारे में कल्पना करेंगे।
इन कहानियों में आपको बाँध कर रखने की शक्ति है, और ये भी हम कह सकते हैं के कुछ कहानियां शायद आपके जीवन में बहुत परिवर्तन ले आएं!
शुभ कामना
टी सिंह
Table of Content
बिखरी पंखुड़ियाँ
Copyright
Table of Content
दो शब्द
अचानक एक दिन
हिमपात की कामना
प्यारा सच
तब का प्यार
मैं और वो
सही गलत प्यार
प्यार का अंत
वो उपहार
हैलो से गुडबाय
प्यारी साराह
जल्दी करो बेन
एक चिट्ठी
बिखरी पंखुड़ियाँ
एक और अधूरी कहानी
मैं नहीं बदली
मेरी काजू कतली
प्यार की तलाश
सूरज की छाया में
सब अँधेरा हो गया
समापन
वो पहली रात
मैं मर गयी हूँ
प्यार फिर जाग गया
एक नयी सांस
शह और मात
प्रतीक्षा
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