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ई-पुस्तक के रूप में तैयार 114 ग़ज़लों का एक संकलन सुकून-ए-ख़ातिर 21जून 2020 को ग़ज़ल के आशिक़ों को समर्पित किया था।
वर्तमान ग़ज़ल संग्रह कोरोना काल की ज़रूरी नज़रबंदी के दौरान महसूस की गई अनुभूतियों का एक पृथक दस्तावेज़ है। पिछले ग़ज़ल संग्रह की अंतिम 28 गज़लें भी कोरोना काल में ही तैयार हुईं थीं। अंत: उन्हें भी सम्पूर्णता के लिहाज़ से इस संग्रह में रखा गया हैं। आशा है कि ग़ज़ल के आशिक़ जिन्होंने कोरोना काल की नज़रबंदी को झेला है, इन ग़ज़लों से विशेष निकटता महसूस करेंगे:-
डॉ. कुँवर वीरेन्द्र विक्रम सिंह गौतम
बी-607, सत्या एन्क्लेव, लेक एवेन्यू, कांके रोड, राँची – 834 008
दिनांक: 18 सितम्बर, 2020
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