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मॉडर्न एक्यूपंक्चर – आचार्य से सीखें
खंड 1
यह खंड मॉडर्न एक्यूपंक्चर श्रृंखला की आधारशिला है। इसका उद्देश्य पाठकों को ऐसा ठोस वैज्ञानिक ढांचा देना है जिस पर आगे का नैदानिक अध्ययन—बिंदु-चयन, तकनीक, और उपचार रणनीतियाँ—आत्मविश्वास के साथ टिका रह सके। पुस्तक पारंपरिक अनुभवजन्य ज्ञान को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान (न्यूरोफिज़ियोलॉजी, एनाटॉमी, बायोकेमिस्ट्री) के साथ जोड़ती है, ताकि अध्ययन केवल सिद्धांत न रहे बल्कि क्लिनिक में तुरंत लागू होने योग्य बने।
क्या शामिल है
• मानव शरीर रचना (Anatomy) का व्यवस्थित अध्ययन: अस्थि-पेशी तंत्र, जोड़ों की जैव-यांत्रिकी, परिधीय एवं केन्द्रीय स्नायु तंत्र, संवेदी अंग, त्वचा-फेशिया, हृदय-नाड़ी तंत्र, श्वसन, पाचन, यकृत-पित्त, मूत्र-विसर्जन, अंतःस्रावी और प्रतिरक्षा तंत्र—प्रत्येक का संरचनात्मक मानचित्रण, क्लिनिकल संदर्भ और एक्यूपंक्चर से संबद्धता।
• शरीर क्रिया विज्ञान (Physiology) के सिद्धांत: दर्द संचरण पथ, गेट-कंट्रोल, न्यूरोमॉड्यूलेशन, एंडोर्फिन/एन्केफेलिन स्राव, स्वायत्त तंत्रिका संतुलन, सूक्ष्म रक्तसंचार और ऊतक-उपचार (tissue repair) पर प्रभाव—सरल भाषा में, चरणबद्ध व्याख्या के साथ।
• एक्यूपंक्चर के कार्य-तंत्र: सेगमेंटल और सुप्रासेगमेंटल प्रभाव, स्पाइनल इनहिबिशन, डिसेंडिंग पेन-इनहिबिटरी सिस्टम, HPA-एक्सिस का विनियमन, सूजन-संकेतकों पर प्रभाव, मांसपेशीय मोटर-पॉइंट सक्रियण, तथा स्थानीय-डिस्टल बिंदुओं का तर्क।
• बिंदुओं का संरचित प्रस्तुतीकरण: प्रत्येक बिंदु का नाम/अर्थ, स्थान, सूई प्रविष्टि तकनीक (गहराई, कोण, सावधानियाँ), और संकेत। याद रखने हेतु अर्थ-आधारित स्मरण तकनीकें, रेडियल/उल्नार, मेडियल/लेटरल, प्रोक्षिमल/डिस्टल जैसे सापेक्ष दिशासूचक संकेत भी दिए गए हैं।
• चित्र-आरेख और मैप्स: उच्च-गुणवत्ता रेखांकन, सतही एनाटॉमी मार्कर, हड्डी-लैंडमार्क, और चैनल-ट्रेसेज़—ताकि बिंदु-लोकेशन में त्रुटि न्यूनतम हो।
• सुरक्षा और स्वच्छता प्रोटोकॉल: स्टरल तकनीक, रक्तस्राव-जोखिम का आकलन, वैसोवैगल प्रतिक्रिया की पहचान, सुई टूटने/रिटेन्शन/डिज़िनेस जैसे परिदृश्यों का प्रबंधन, तथा पूर्व-उपचार जाँच सूची।
सीखने के लक्ष्य (Learning Outcomes)
• मानव शरीर की प्रमुख प्रणालियों का एक्यूपंक्चर-संबंधी मानचित्र दिमाग में बनाना।
• दर्द और सूजन के जैविक तंत्र को समझकर तर्क-आधारित बिंदु-चयन सीखना।
• मोटर-पॉइंट्स और सेगमेंटल विनियमन के माध्यम से मांसपेशीय असंतुलन सुधारना।
• रोगी-सुरक्षा, सूई-गहराई, और एंगल-सेलेक्शन जैसे क्रिटिकल माइक्रो-स्किल्स में दक्ष होना।
यह खंड किसके लिए उपयुक्त है
• प्रारम्भिक छात्र जो मॉडर्न एक्यूपंक्चर को वैज्ञानिक, क्रमबद्ध और व्यावहारिक तरीके से सीखना चाहते हैं।
• अभ्यासरत चिकित्सक जिन्हें एनाटॉमी-फिज़ियोलॉजी आधारित पुनरावलोकन और बिंदु-तर्क की सुदृढ़ीकरण की आवश्यकता है।
• फिजियो/दर्द-चिकित्सा/इंटीग्रेटिव हेल्थ के पेशेवर जो सुरक्षित, साक्ष्य-आधारित प्रोटोकॉल अपनाना चाहते हैं।
प्रस्तुति की विशेषताएँ
• साधारण भाषा + वैज्ञानिक संकल्पना: जटिल विषयों को छोटे, सुगम अनुच्छेदों में।
• दृश्य-प्रधान शिक्षण: चैनल ट्रैक, सतही लैंडमार्क, और क्लिनिकल पोज़िशनिंग के चित्र।
• त्रुटि-निवारण संकेत: सामान्य गलत लोकेशन, अतिशय गहराई, संवहनी/न्यूरल क्षेत्रों से बचाव।
• क्रॉस-लिंक संदर्भ: जहाँ आवश्यक, संबंधित चैनल/सेगमेंट/मोटर-पॉइंट की ओर मार्गदर्शन।।
क्यों यही से शुरुआत करें
क्योंकि यह खंड आधार-निर्माण करता है, यही वह स्तर है जहाँ पारंपरिक “क्या” और आधुनिक “क्यों/कैसे” का समागम होता है। जब बिंदु-तर्क न्यूरो-एनाटॉमी से जुड़ता है, तब उपचार दोहराने योग्य, मापने योग्य और सुरक्षित हो जाता है। यही मॉडर्न एक्यूपंक्चर की पहचान है: परंपरा का सम्मान, विज्ञान का अनुशासन, और क्लिनिक की उपयोगिता, एक ही जगह।
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