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Kahani Pravah (कहानी प्रवाह) (eBook)

चयनित श्रेष्ठ कहानियाँ
Type: e-book
Genre: Literature & Fiction
Language: Hindi
Price: ₹343
(Immediate Access on Full Payment)
Available Formats: PDF

Description

इस कहानी संकलन में 17 कहानियों को शामिल किया गया है | इस पुस्तक में संकलित सभी कहानियां कथ्य एवं शिल्प की दृष्टि से अपने दौर की बेहतरीन और लोकप्रिय कहानियां साबित हुईं हैं| प्रस्तुत पुस्तक में विभिन्न दौर की बदलती प्रवृत्तियों के आधार पर कहानियों को एकत्रित कर कहानी विधा की सुदीर्घ यात्रा को समग्रता के साथ समझने का प्रयास किया गया | सभी कहानियां मौलिक रचनात्मकता से सुसज्जित मानवीय संवेदनाओं, सामाजिक संघर्षों, और विभिन्न मानसिक व भावनात्मक दशाओं को गहराई से अभिव्यक्त करती हैं । बंग महिला कृत 'दुलाई वाली' और चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी' कृत 'उसने कहा था' कहानियां अपने-अपने समय में प्रेम और बलिदान जैसे भावनात्मक पहलुओं को पेश करती हैं। 'दुलाई वाली' में उस समय के समाज में स्त्री की स्थिति पर गंभीर टिप्पणी की गई है, वहीं 'उसने कहा था' में प्रेम के पवित्र और वीरतापूर्ण रूप को दर्शाया गया है। इन कहानियों में जहां प्रेमचंद की 'क़फ़न' जैसी कहानी निम्न वर्ग के जीवन और उसकी त्रासदियों को उजागर करती है, वहीं जयशंकर 'प्रसाद' की 'पुरस्कार' में मानवीय मूल्यों और समाज की विकृतियों पर व्यंग्य किया गया है। जैनेंद्र कुमार की 'ध्रुवयात्रा' और यशपाल की 'ज्ञानदान' में सामाजिक और व्यक्तिगत द्वंद्व को प्रस्तुत किया गया है, जो उस दौर की विचारधारात्मक संघर्षों की ओर इशारा करता है। 'ध्रुवयात्रा' में मुख्य पात्र की यात्रा उसकी आंतरिक संवेदना और मानसिक संघर्ष की यात्रा भी है, जबकि 'ज्ञानदान' में शिक्षा और समाज सुधार की बातें की गई हैं। 'अज्ञेय' की 'रोज़' में मानव मन की जटिलताओं और अस्तित्ववादी विचारों को बखूबी दर्शाया गया है, जबकि भगवतीचरण वर्मा की 'दो बांके' में हास्य और व्यंग्य के माध्यम से जीवन की छोटी-छोटी बातों में खुशी ढूंढ़ने का प्रयास किया गया है। मोहन राकेश की 'अपरिचित' और निर्मल वर्मा की 'परिंदे' आधुनिक हिंदी कथा साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ये कहानियाँ आधुनिकता की जटिलता और मनोवैज्ञानिक गहराई को दर्शाती हैं। भीष्म साहनी की 'अमृतसर आ गया' विभाजन की त्रासदी और उसके प्रभावों पर केंद्रित है, और अमरकांत की 'डिप्टी कलक्टरी' समाज के निचले वर्ग की ज़िंदगी और सरकारी तंत्र की विडंबनाओं को उजागर करती है। उषा प्रियंवदा की 'वापसी' और उदय प्रकाश की 'तिरिछ' में भी समाज के हाशिये पर खड़े पात्रों की संवेदनाएं दिखाई देती हैं। असग़र वजाहत की 'केक' में वर्तमान समाज की परतों को रोचक तरीके से पेश किया गया है, वहीं रतन कुमार साँभरिया की 'फुलवा' में ग्रामीण समाज की अनकही कहानी और उसका संघर्ष स्पष्ट होता है। अशोक सक्सेना की 'ओवर एज' में युवाओं की समस्याओं और उनके जीवन संघर्षों का मर्मस्पर्शी चित्रण है।

About the Author

डॉ. नाज़िश बेगम अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वीमेंस कॉलेज के हिंदी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की, और उनका शोध 'निराला के गीत' पर केंद्रित है। उनके शैक्षणिक और अनुसंधान कार्यों ने हिंदी साहित्य में नए दृष्टिकोण और गहनता का महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी प्रसिद्ध पुस्तक निराला के गीत: परंपरा एवं प्रयोग, 2017 में मैनकाईन (Manakine) प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित हुई, जिसमें निराला की काव्य-शैली और संवेदना का विश्लेषणात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है।
डॉ. नाज़िश शिक्षण के साथ-साथ विश्वविद्यालय में कई प्रशासनिक कार्यों में भी सक्रिय रही हैं। उनके अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पत्रिकाओं में 15 से अधिक शोध-पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त, वह 25 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में अपने शोध-पत्र प्रस्तुत कर चुकी हैं.। उन्होंने ‘वैश्विक परिप्रेक्ष्य में हिंदी अनुवाद की उपयोगिता’ विषय पर GIAN परियोजना का सफल समन्वय भी किया, जो हिंदी साहित्य को अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करता है।
डॉ. नाज़िश के निर्देशन में अब तक 4 शोधार्थी पीएच.डी. पूरी कर चुके हैं और 4 अन्य शोधरत हैं। हिंदी साहित्य में उनके विशिष्ट योगदान ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाई है। उनके उत्कृष्ठ कार्यों के लिए उन्हें सर सैयद एक्सीलेंस अवार्ड और शिखर सम्मान जैसे कई पुरस्कारों से नवाज़ा जा चुका है। 2023 में वे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (AMUTA) की कार्यकारिणी सदस्य के रूप में भी चुनी गईं। डॉ. नाज़िश का साहित्यिक दृष्टिकोण और नवाचार हिंदी साहित्य को न केवल समृद्ध बनाते हैं, बल्कि हिंदी भाषा को वैश्विक मंच पर नई प्रतिष्ठा भी प्रदान करते हैं।

Book Details

ISBN: 9788198205681
Publisher: Bharat Publishing House
Number of Pages: 168
Availability: Available for Download (e-book)

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