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अमृत धारा (eBook)

कविता संग्रह - संस्कृत एवं हिंदी
Type: e-book
Genre: Poetry
Language: Hindi, Sanskrit
Price: ₹111
(Immediate Access on Full Payment)
Available Formats: PDF

Description

मेरे पापा डॉ .सतीश चन्द्र झा की डायरी से प्राप्त उनके उत्कृष्ट संस्कृत कवितायेँ संकलित कर मैं आप सबके समक्ष ला रही हूँ .उनकी कवितायेँ अमृत सदृश ही है . उनकी कविता -
"तारे त्वयि निरतम मम चेतः", माँ भगवती की स्तुति उनकी अनुपम कृति है .ऐसा प्रतीत होता है जैसे माँ भगवती स्वयं अवतरित होकर उनके मुख से सुनने आयी हों .
"सर्व स्वर्णै: निर्मिता या द्वारिका" .कृष्ण नगरी जा रहे थे उस समय उन्होंने इस कविता को द्वारिका जाने के मार्ग में ही लिखा था. ऐसा प्रतीत होता है गोविन्द स्वयं उनकी रचना को सुनने के लिए आतुर थे, संभवतः इसी कारण इस अद्भुत कविता की रचना पापा ने की होगी .पापा की डायरी में मात्र ११ कवितायेँ ही मिली मुझे .उनकी ये कवितायेँ एकादश रूद्र की तरह है .अमृत वाणी सदृश ही है .मैंने अपनी माँ मोहिनी झा से कहा कि माँ ११ कविता ही है, पता नहीं पापा और कहाँ रखे हैं अपनी रचनाएँ . मेरी माँ ने कहा - जितनी उनकी मिली है ,उतनी रहने दो , और अपनी कवितायें भी रख दो . माँ ने कहा उनकी हार्दिक इच्छा थी कि तुम दोनों मिलकर किताब लिखो .उनकी ख्वाहिश अधूरी ही रह गयी लेकिन इसमें अभी अपनी रचना डालोगी तो उन्हें अति प्रसन्नता होगी .आरम्भ कर दो .और उनकी सभी लिखी रचना को पूरी कर देना . माँ का आशीर्वाद प्राप्त कर मैं यह दुस्साहस कर रही हूँ . बड़गद के वृक्ष के नीचे छोटे - छोटे वृक्ष को भी स्थान मिलता है ,उसकी छाया से हर जीव को लाभ मिलता है ,उसी तरह मुझे पापा की रचना 'अमृत धारा' में मेरी भी रचना समाहित हो जाएगी ,यह विश्वास है .पाठकगण निश्चित रूप से संतुष्ट होंगे पापा की लिखी कविता से, साथ में मेरी भी कविता से . सुधीजन के संतोष से ही काव्य की रचना पूर्ण होगी ,कहा भी गया है -
"आ परितोषाद्विदुषां न साधु मन्ये प्रयोगविज्ञानं।
बलवदपि शिक्षितानामात्मन्यप्रत्ययं चेतः॥

About the Authors

डॉ. सतीश चंद्र झा
बिहार राज्य के मधुबनी जिले के चानपूरा ग्राम में डॉ. सतीश चंद्र झा का जन्म १० मई १९४७ हुआ . इनके पिता पंडित श्री कृष्णा चंद्र झा संस्कृत साहित्य के प्रकांड विद्वान थे . इनकी माता का नाम अम्बिका झा था जो अत्यंत कर्तव्यपरायणा , निश्छल और धर्मिक प्रवृति की थीं. इन दोनों के गुणों के प्रतिफल थे डॉ.सतीश चंद्र झा.
बाल्यकाल से ही प्रखर बुद्धि के थे. मात्र सात साल की आयु में प्रथमा की परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो कर सबको चकित कर दिए थे.
१९६५ में बिहार यूनिवर्सिटी , मुजफ्फरपुर से बी.ए. ऑनर्स (संस्कृत) में प्रथम स्थान प्राप्त किया, गोल्ड मैडल मिला और बेस्ट ग्रेजुएट घोषित हुए. एम्. ए .(संस्कृत) भी बिहार यूनिवर्सिटी से प्रथम स्थान प्राप्त करते हुए गोल्ड मैडल प्राप्त किया . पीएच.डी. तथा डी.लिट्. भी बिहार यूनिवर्सिटी से किया. ८० से अधिक छात्रों ने उनके दिशा निर्देश में पीएच.डी. तथा ७ एमिनेंट स्कॉलर्स ने डी.लिट्. किया. ४ पुस्तकें शोध के एवं २ पुस्तकें संस्कृत के प्रकशित एवं ५० से अधिक शोध पात्र विभिन्न जर्नल्स में प्रकशित .
श्री अवनीत कुमार ने " आचार्य सतीश चंद्र झा का व्यक्तित्व एवं कृतित्व " विषय पर कुमाऊं यूनिवर्सिटी , नैनीताल से डॉ. डी.आर. त्रिपाठी के दिशा निर्देश में पीएच.डी. किया है. इनके सम्मान में छात्रों, प्रशंसकों तथा मित्रों ने २०१३ में "आचार्य सतीश चंद्र झा अभिनन्दन ग्रन्थ" प्रकशित करवाया था जिसका विमोचन महामहिम बिहार के गवर्नर डॉ. डी.वाई . पाटिल के हाथों ३०.१०.२०१३ को हुआ था. जमशेदपुर में इन्हें "संस्कृत भूषण " की उपाधि से सम्मानित किया गया था.
१९६९ में देवघर कॉलेज के संस्कृत विभाग में लेक्चरर के पद पर पहली नियुक्ति हुयी थी. तदुपरांत बिहार यूनिवर्सिटी में तथा मिथिला यूनिवर्सिटी में अध्यापन कार्य किया. १९९८ से २००९ तक विभाग प्रमुख थे.कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत यूनिवर्सिटी के प्रो. वाईस चांसलर भी रहे .
आल इंडिया ओरिएण्टल कॉनफेरेन्स में २२ वर्षों तक एग्जीक्यूटिव कौंसिल के सदस्य रहे तथा ४४ सेशन (कुरुक्षेत्र) के जनरल प्रेसिडेंट एवं ४२ सेशन(वाराणसी) के वाईस प्रेसिडेंट भी रहे थे . बिहार का पहला विद्वान जिन्हें १९८५ के आल इंडिया ओरिएण्टल कॉनफेरेन्स (कलकत्ता सेशन में ) डॉ. वि. राघवन पुरस्कार प्राप्त करने का गौरव मिला था.
अवकाश प्राप्त करने के बाद यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन द्वारा "प्रोफेसर एमेरिटस फेलो" में नियुक्त किये गए थे.
"संस्कृत दर्शनम " एवं "विद्योत्तमा" पत्रिका के मुख्य संपादक भी थे.

डॉ.रजनी
एम. ए. पी .एच .डी,आचार्य
ऑल इंडिया ओरिएण्टल कॉन्फ्रेंस में एजक्युटिव मेम्बर.
मैन्युअल मनी हायर सेकेण्डरी स्कूल चेन्नई में शिक्षक तदुपरान्त रामजी मेहता आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में अध्यापन .
स्वेच्छा से अध्यापन से मुक्त होकर स्वतंत्र लेखन आरम्भ किया .
अभिव्यक्ति.कॉम ऑन लाइन मैगज़ीन,विद्योत्तमा ,संस्कृत दर्शनम तथा अन्य महिलाओं की पत्रिका में आलेख .हिन्दुस्तान में लेख तथा दैनिक जागरण ,अमर उजाला ,दैनिक भाष्कर में ब्लॉगिंग .
प्रकाशित पुस्तक:1. "संस्कृत -साहित्य में स्वप्न संसार"
2. बड़ी माँ - ई बुक पोथी डॉट कॉम पर प्रकाशित .
3. उपवन - कथा श्रृंखला - ई बुक पोथी डॉट कॉम पर प्रकाशित
4. कालिन्दी - कथा श्रृंखला - ई बुक पोथी डॉट कॉम पर प्रकाशित
5. सांझा संकलन में "स्त्री एक सोच", और "धूप के दीप" प्रकाशित

Book Details

Publisher: Rajani
Number of Pages: 78
Availability: Available for Download (e-book)

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