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भूमिका
प्रवासी साहित्य, भारतीय साहित्य की समृद्ध धारा का एक ऐसा विशिष्ट पहलू है, जो भारत से बाहर रहने वाले प्रवासियों के जीवन, उनकी संस्कृति, संघर्ष और पहचान को समर्पित है। इस साहित्य में प्रवासियों के मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं की सजीव झलक मिलती है। पुस्तक "प्रवासी साहित्य–अस्मिता का द्वंद्व" इन्हीं जटिलताओं को समझने और उन्हें साहित्यिक दृष्टिकोण से विश्लेषित करने का प्रयास है।
प्रवासी जीवन का अनुभव हर किसी के लिए अलग होता है। अपने देश को छोड़कर नई भूमि पर बसने की प्रक्रिया में प्रवासी जिस द्वंद्व का सामना करते हैं, वह उनकी आत्मा पर गहरा प्रभाव छोड़ता है। यह द्वंद्व न केवल उनकी सांस्कृतिक पहचान को चुनौती देता है, बल्कि उनके मानसिक और भावनात्मक संतुलन को भी प्रभावित करता है। प्रवासी साहित्य इन्हीं अनुभवों को रचनात्मक अभिव्यक्ति प्रदान करता है।
इस पुस्तक की रचना का उद्देश्य प्रवासी साहित्य के विविध पक्षों को समझना और उसकी प्रासंगिकता पर विचार...
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