You can access the distribution details by navigating to My pre-printed books > Distribution
'सिराउर' दिलीप कुमार झा द्वारा लिखल टटका उपन्यास अछि जकर विषय-वस्तु सेहो खेती बारी अछि से नब तँ नहि मुदा उपटैत खेती बारीपर अभिनव ढंगसँ विमर्श ठाढ़ करैत अछि।मिथिलाक मूलाधार कृषि अछि।कृषि मिथिलाक प्राण तत्व अछि।से बिरहि रहल अछि,उपटि रहल अछि।से अनेक तरहें समाजकें सीदित क' रहल अछि।खेतीकें उपटलासँ रोजी-रोज़गार खतम भेलै।सब कियो के परैनी लागि गेलै, मिथिलाक गाम सब खाली भ' गेलै। से बिरहैत खेती,उपटैत कृषि संस्कृतिकें कोना स्थापित कयल जाय।उपटैत गामकें फेरसँ कोना बसाओल जाय।इएह अछि एहि उपन्यासक मूल कथ्य।उपन्यासक एकटा पात्र राकेश सहनी कहैत छथि,"एना कोना चलतै ! सबटा बिरहोबाँट भेल जा रहल छै।हम सब जँ एहि भूमिक सहीमे पुत्र-पुत्री छी तँ एकबेर अपना मातृभूमिक पुनरुत्थान लेल,पुनर्जागरण लेल जोर लगेबाक चाही हमरा पूरा भरोस अछि जे हमसब सफल हैब।" से उपन्यास मिथिलाक उपटैत खेतीबारी पर एकटा महत्वपूर्ण विमर्श ठाढ़ करैत अछि।उपन्यास पाठक द्वारा बहुत पसिन कयल जा रहल अछि।
Currently there are no reviews available for this book.
Be the first one to write a review for the book सिराउर.