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ज़िंदगी अनेक मनोभावों का पुलिंदा है-खुशी-ग़म, प्यार-नफरत, हसद, लालसा। कभी कोई भाव उभरता है तो कभी कोई, स्थाई कोई भी नहीं रहता। फिर भी हम हर उस दौर से गुजरते हैं ज़िंदगी के गुज़र जाने के पहले…! इस दौर व् इस दौर के बीच आओ हम ज़िन्दगी के कुछ पल जियें।
कहते है ज़िंदगी सफ़र है…
हमें सिर्फ़ क़दम बढ़ाना है…
पहले एक, उसके बाद एक और…
तो आओ आज पहला क़दम बढ़ाएं…
और फिर एक और, उसके बाद एक और…
आपकी अपनी
देवी नागरानी
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