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जब कोई चीज अधूरी रह जाती है और फिर भी वह अधूरापन आपको पूर्णता की दिव्य अनुभूति देता है। जब भाग्य में न होने के बाद भी कोई आपका जीवन बन जाता है। जब कोई आपके जीवन का हिस्सा नहीं होता है, बल्कि आपके जीवन का धड़कता दिल बन जाता है और आप उस प्यार को जीते हैं जो आप खुद पर भी नहीं करते हैं। जब नियति की सीमाएँ होती हैं लेकिन प्रेम की कोई सीमाएं नहीं होती। जब ऐसा एक समय आता है जब आपको अध्याय को समाप्त करना होता है, या फिर किताब को ही बंद करना होता है । ऐसे दो पर्याय नियति आपके सामने ला कर रख देती है और आप को इन्ही दो मे से एक पर्याय को चुनना होता है। लेकिन इन दो में से एक पर्याय चुनने के बजाय आपने पूरी किताब को फिर से, नए सिरे से लिखना और उसे...
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