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सुन्नैर नैका (eBook)

कोसी कछार की एक लोक कथा
Type: e-book
Genre: Literature & Fiction
Language: Hindi
Price: ₹50
(Immediate Access on Full Payment)
Available Formats: PDF

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Description

इसका नॉवेल का नाम सुन्नैर नैका है. जैसा कि उपन्यास के नैरेटर सुरपति राय कहते हैं, चाहें तो आप लोग इसे सुंदरी नायिका भी कह सकते हैं, मगर जो रस सुन्नैर नैका में है सुंदरी नायिका में कहां... इसलिए मैंने भी इसका नाम सुन्नैर नैका ही रखा है. वह एक हवेली की राजकुमारी है जो अपने इलाके में हरियाली वापस लाने के लिए बहुत बेचैन है. करीब चार सौ साल पुरानी इस लोक कथा में कोसी नदी के दिशा बदलने और उसके कारण अररिया इलाके के एक बड़े क्षेत्र के अचानक परती में बदल जाने का जिक्र है. इसकी कहानी हम रेणुजी के प्रसिद्ध उपन्यास परती परिकथा में पढ़ चुके हैं. वस्तुत: इस लोक कथा का जिक्र भी उसी महान पुस्तक परती-परिकथा में है, उसे मैंने इस नॉवेल में इनलार्ज किया है. एक दंता राकस है जो अपने हजार साथियों के साथ उस इलाके में कुंडों की खुदाई के लिए आता है. वही उस उपन्यास का नायक है. हालांकि हमारा समाज उसे नायक का दर्जा नहीं देता, जबकि कोसी-कछार में जितने बड़े कुंड-तालाब और पोखर खोदे गये हैं, उनके पीछे किसी न किसी दंता या दैत्य का ही योगदान बताया जाता है. सैकड़ों दैता पोखर हैं और उनकी गुप्त कथाएं. इन कहानियों का जिक्र तो होता है मगर इससे संबंधित सवालों के जवाब नहीं मिलते. हर कहानी में दैत्यों को कोई राजकुमारी फुसलाकर लाती है और प्रेमपाश में बंधा दैत्य तालाब की खुदाई कर देता है. बाद में दैत्यों को धोखा तो दिया जाता ही है, राजकुमारियों का अंजाम भी बहुत अच्छा नहीं होता है. मगर क्या इसकी चर्चा निषेध है. कहीं-कहीं यह भी कहा जाता है कि जिसने यह जानने की कोशिश की वह बच नहीं सका. खैर इस तरह के निषेध के पीछे किसी समाज की क्या सोच हो सकती है यह बताना जरूरी नहीं... मेरे इस नॉवेल में कुछ भी नहीं छुपाया गया है, यह पूरी और मुकम्मल कथा है.

About the Author

बिहार के पूर्णिया जिले का वासी.
प्रभात खबर, रांची के संपादकीय विभाग में कार्यरत.
साहित्य, पत्रकारिता और सामाजिक कार्य में सक्रिय.

Book Details

Number of Pages: 101
Availability: Available for Download (e-book)

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