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ब्रेकिंग द मेंटल जेल: मानसिक बंधनों से आज़ादी
कभी-कभी हमें लगता है कि हमारी सबसे बड़ी लड़ाई बाहर की दुनिया से नहीं, बल्कि अपने ही मन से है। नकारात्मक सोच, डर और चिंता हमें अंदर ही अंदर थका देते हैं। हम चाहकर भी अपनी असली क्षमता तक नहीं पहुँच पाते।
यह किताब उसी दोस्त की तरह है जो आपके कंधे पर हाथ रखकर कहे – “तुम अकेले नहीं हो, चलो साथ मिलकर इन बंधनों को तोड़ते हैं।”
इन पन्नों में आपको मिलेगी:
रोज़मर्रा की परेशानियों को हल्का करने के छोटे-छोटे तरीके
डिजिटल दुनिया और लगातार स्क्रॉलिंग से बाहर निकलने का रास्ता
आत्मविश्वास और हिम्मत जगाने वाले सरल अभ्यास
भारतीय जीवन से जुड़े किस्से और relatable उदाहरण
सोचने का नया नज़रिया, जो धीरे-धीरे ज़िंदगी बदल देता है
यह किताब कोई भारी-भरकम उपदेश नहीं देती। बल्कि धीरे-धीरे, दोस्त की तरह आपका हाथ पकड़कर आपको उस मानसिक जेल से बाहर लाती है जिसमें हम सब कभी न कभी फँस जाते हैं।
अगर आप भी चाहते हैं कि आपका मन बोझ नहीं बल्कि ताक़त बने, तो यह किताब आपके लिए है।
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