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श्री प्रहलाद सबनानी द्वारा रचित इस पुस्तक में भारत के प्राचीन काल एवं वर्तमान काल में आर्थिक विकास तथा वर्तमान में भारत के पूरे विश्व में आर्थिक शक्ति के रूप में उभरने के सम्बंध में बहुत विस्तार से वर्णन किया गया है। प्राचीनकाल में भारत में सूक्ष्म अर्थशास्त्र का विचार किन नीतियों पर आधारित था तथा किस प्रकार इन नीतियों को अपनाकर वृहद्द अर्थशास्त्र के क्षेत्र में भारत के बुरे समय में आर्थिक समस्याओं का हल निकालने में सफलता अर्जित की जाती रही है, इस विषय को बहुत ही सरलता से वर्णित किया गया है। आज जब पूरे विश्व में आर्थिक विकास की दर कम हो रही है एवं कई विकसित तथा अन्य देश मंदी की आशंका से ग्रस्त हैं, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का विचार है कि भारत में मंदी की शून्य सम्भावना है। भारत आज वैश्विक स्तर पर बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच सबसे तेज गति से आगे बढ़ती...
भारतीय आर्थिक दर्शन एवं पश्चिमी आर्थिक दर्शन में भिन्नत्ता .........प्रहलाद सबनानी
I found this book very interesting and informative. It presents a step by step development of Indian Economy and illustrate different Models. To add attraction, many small stories, poems and...