Description
यह पुस्तक प्रेमयोगी वज्र की उन ब्लॉग-पोस्टों का संकलन है, जो उसने demystifyingkundalini.com के लिए बनाई हैं। प्रेमयोगी वज्र एक आत्मजागृत व रहस्यात्मक व्यक्ति है। अपने कुण्डलिनी जागरण के साथ ही उसके मस्तिष्क में उच्च मानसिकता की एक बाढ़ सी अ गई थी। उससे प्रभावित होकर ही उसने बहुत सी पुस्तकों का व उपरोक्त वेबसाईट का निर्माण किया। पुस्तक-प्रकाशन व वेबसाईट-निर्माण से सम्बंधित जो उसके अनुभव रहे, उसने उनको ब्लॉग-पोस्टों के रूप में जगजाहिर किया। प्रत्येक लेख का एक अलग अध्याय बनाया गया है। पाठकगण अवश्य ही इस ई-पुस्तक को रुचिकर, ज्ञानवर्धक व पढ़ने में आरामदायक पाएंगे।
ज्ञान साझा करना समाज को विकसित करने के लिए एक बुनियादी उपकरण है। बाद के साझाकरण के बिना प्राप्त अनुभव कम मूल्य का है। यह एक ही आदमी तक सीमित रहता है, और उसके साथ ही नष्ट हो जाता है। इसलिए, अपने अनुभवों को ठीक से और आसानी से साझा करने में सक्षम होने के लिए, किसी व्यक्ति को को स्वयं प्रकाशन व वैबसाईट निर्माण की कम से कम मूल बातें तो जाननी ही चाहिए, क्योंकि ये ज्ञान साझा करने के बुनियादी आधुनिक उपकरण हैं। सेल्फ पब्लिशिंग और वेबसाइट बनाने के दौरान राइटर को बड़ी मुश्किल से निपटना पड़ा। इनके मूल तकनीकी बिन्दुओं को सीखने में उन्हें कई साल लग गए। ताकि लोगों को उनकी तरह दिक्कत न आए, उन्होंने अपने सीखने के दौरान प्राप्त सभी अनुभवों को इस पुस्तक के रूप में बाँध दिया। आशा है कि लोगों को यह पुस्तक संक्षिप्त, व्यावहारिक और आसान लगेगी।
प्रेमयोगी वज्र का जन्म 1975 में भारत के हिमाचल प्रांत के एक छोटे से गाँव में हुआ था। वह स्वाभाविक रूप से लेखन, दर्शन, आध्यात्मिकता, योग, लोक-व्यवहार, व्यावहारिक विज्ञान और पर्यटन के शौकीन हैं। उन्होंने पशुपालन व पशु चिकित्सा के क्षेत्र में भी प्रशंसनीय काम किया है। वह पोलीहाउस खेती, जैविक खेती, वैज्ञानिक और पानी की बचत युक्त सिंचाई, वर्षाजल संग्रहण, किचन गार्डनिंग, गाय पालन, वर्मीकम्पोस्टिंग, वैबसाईट डिवेलपमेंट, स्वयंप्रकाशन, संगीत और गायन के भी शौकीन हैं। इन सभी विषयों पर उन्होंने पुस्तकें भी लिखी हैं, जिनका वर्णन एमाजोन, ऑथर सेन्ट्रल, ऑथर पेज, प्रेमयोगी वज्र पर उपलब्ध है। इन पुस्तकों का वर्णन उनकी निजी वेबसाईट demystifyingkundalini.com पर भी उपलब्ध है। वे थोड़े समय के लिए एक वैदिक पुजारी भी रहे थे, जो लोगों के घरों में अपने वैदिक पुरोहित दादाजी की सहायता से धार्मिक अनुष्ठान करते थे। उन्हें कुछ उन्नत आध्यात्मिक अनुभव (आत्मज्ञान और कुंडलिनी जागरण) प्राप्त हुए हैं। उनके अनोखे अनुभवों सहित उनकी आत्मकथा विशेष रूप से "शरीरविज्ञान दर्शन- एक अधुनिक कुंडलिनी तंत्र (एक योगी की प्रेमकथा)" पुस्तक में साझा की गई है। यह पुस्तक उनके जीवन की सबसे प्रमुख और महत्त्वाकांक्षी पुस्तक है। इस पुस्तक में उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण 25 सालों का जीवन दर्शन समाया हुआ है। इस पुस्तक के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की है। ऐमज़ॉन डॉट इन पर एक गुणवत्तापूर्ण निष्पक्षतापूर्ण समीक्षा में इस पुस्तक को पांच सितारा, सर्वश्रेष्ठ, सबके द्वारा अवश्य पढ़ी जाने योग्य व अति उत्तम (एक्सलेंट) पुस्तक के रूप में समीक्षित किया गया है। गूगल प्ले बुक पर समीक्षा में इस पुस्तक को फाइव स्टार मिले हैं, तथा पुस्तक को अच्छा (कूल) व गुणवत्तापूर्ण आंका गया है। उन्हें सर्वप्रसिद्ध प्रश्नोत्तरी वैबसाईट quora.com पर "क्वोरा टॉप राइटर 2018" के रूप में भी सम्मानित किया गया है।
प्रेमयोगी वज्र एक रहस्यमयी व्यक्ति है। वह बहुरूपिए की तरह है, जिसका कोई एक निर्धारित रूप नहीं होता। उसका वास्तविक रूप उसके मन में लग रही समाधि के आकार-प्रकार पर निर्भर करता है, बाहर से वह चाहे कैसा भी दिखे। वह आत्मज्ञानी(enlightened) भी है, और उसकी कुण्डलिनी भी जागृत हो चुकी है। उसे आत्मज्ञान की अनुभूति प्राकृतिक रूप से/प्रेमयोग से हुई थी, और कुण्डलिनी जागरण की अनुभूति कृत्रिम रूप से/कुण्डलिनी योग से हुई। प्राकृतिक समाधि के समय उसे सांकेतिक व समवाही तंत्रयोग की सहायता स्वयमेव मिली, और कृत्रिम समाधि के समय पूर्ण व विषमवाही तंत्रयोग की सहायता उसे उसके अपने प्रयास से उपलब्ध हुई।