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(2 Reviews)

"ख़याल" ... मेरे अपने ! (eBook)

Type: e-book
Genre: Poetry
Language: Hindi
Price: ₹75
(Immediate Access on Full Payment)
Available Formats: PDF

Description

"ख़याल" ... मेरे अपने ! – ये लगातार बहते हुए ख़यालात का एक संकलन है, जो रुकने का नाम नहीं लेते। इस पोस्ट को लिखते हुए भी नए-नए ख़यालों की लहरें दस्तक दे रही हैं। अगर आपने ज़िंदगी में हर छोटी-बड़ी बात को गहराई से महसूस किया है, तो आप भी समझेंगे कि हमारी नज़र में जो कुछ भी आता है – घटनाएँ, परिस्थितियाँ, व्यवहार, रिश्ते, प्रकृति – सबमें एक अर्थ छुपा होता है। और ये सूची कभी ख़त्म नहीं होती, जैसे ख़यालात की रवानी भी कभी रुकती नहीं।

मैं इन ख़यालों के मोतियों को आपकी ख़िदमत में पेश कर रहा हूँ, आप इन्हें अपने तरीके से पढ़ें और समझें। आख़िर में एक गुज़ारिश – अपने विचारों का भी एक ख़ज़ाना संजोएँ, उन्हें कलमबंद करें, और छपवाकर आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करें।

About the Author

प्रेम प्रकाश अखौरी

प्रेम प्रकाश अखौरी एक अनुभवी मानव संसाधन (HR) विशेषज्ञ हैं, जो खुद को "HR प्रचारक" कहना पसंद करते हैं। अपने विविध और दशकों के अनुभव के कारण, उन्होंने मानव संसाधन क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाई है।

वर्षों से, वे अपने मन में आने वाले विचारों, भावनाओं और अनुभवों को लेखनी के माध्यम से दर्ज करते रहे हैं। उन्होंने हमेशा साहित्यिक रुचि रखने वाले लोगों को यह सलाह दी कि वे अपने विचारों को लिखें, न केवल अपनी संतुष्टि के लिए, बल्कि एक सार्थक सृजन की ओर भी।

उनका मानना है कि विचारों को शब्दों में कैद करना न केवल एक कला है, बल्कि एक आत्मा को तृप्त करने वाली प्रक्रिया भी है।

Book Details

Number of Pages: 90
Availability: Available for Download (e-book)

Ratings & Reviews

"ख़याल" ... मेरे अपने !

"ख़याल" ... मेरे अपने !

(5.00 out of 5)

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2 Customer Reviews

Showing 2 out of 2
vineet.barc 1 month, 1 week ago Verified Buyer

Wow

Your book is truly a masterpiece that resonates deeply with the soul. The way you have woven real-life experiences into poetic verses is both profound and inspiring. Each poem feels like a mirror reflecting the shared struggles, joys, and growth we all experience in life. Your ability to capture emotions so authentically makes your work not only relatable but also transformative for the reader.
Thank you for sharing your "Khayal" with the World

Vijeta 1 month, 1 week ago

relatable thoughts well conveyed!

How amazingly the mind weaves thought that generate over a period of accumulated experience and wisdom - each new prose reflects the author’s perspective on life and various nuances he has picked in his journey so far… well conveyed!

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