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कितने ख्वाब कितने सपने (कहानियाँ)
प्रोफेसर राजकुमार शर्मा
लम्बे उपन्यास एक ऐसी दुनिया की तरह होते हैं जिसमें एक छोटी सी लेखक की दुनिया होती हैं जिसमें आप प्रवेश करते हैं और लेखक के शब्दों के पीछे पीछे चलते हैं और फिर कुछ दिनों या कुछ हफ़्तों में उस उपन्यास को पूरा पढ़कर बाहर अपनी दुनिया में आ जाते हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं के लेखक की वो छोटी सी काल्पनिक दुनिया आपके दिमाग में एक छोटी सी जगह बना लेती है और शायद जीवन भर ही आपके साथ चलती है, पर छोटी कहानियों की दुनिया बहुत ही छोटी और क्षणिक होती है। कहानियों की दुनिया में आपको विभिन्न स्वाद और रंग मिलते हैं।
हम ये नहीं कह रहे के उपन्यास और छोटी कहानियों में से आपको किसी एक को अच्छा या बेहतर कहना है, हम तो सिर्फ ये कह रहे हैं के उपन्यास की दुनिया छोटी कहानियों की दुनिया से काफी लम्बे समय तक चलती है। पर कहानियों की दुनिया छोटी होते हुए भी इतनी प्रभावशाली होती है के कोई कोई कहानी आपके दिमाग से कभी भी नहीं निकलती है।
तो आइये इस पुस्तक में दी गयी कहानियों की एक ऐसी ही दुनिया में ले चलते हैं जिसमें आपको जीवन के बहुत से पक्ष देखने को मिलेंगे। प्यार, रोमांस, रहस्य, मर्म, और दुःख से भरी हमारी बहुत सी ऐसी कहानियां हैं जो आपको कभी अच्छा महसूस करवायेंगी तो कभी आपकी आँखों में आंसू ले आएंगी!
शुभकामना
प्रोफेसर राजकुमार शर्मा
Table of Content
कितने ख्वाब कितने सपने (कहानियाँ)
Copyright
Table of Content
दो शब्द
वह आवेगपूर्ण क्षण
वो कैनेडियन लड़की
वो रात चुनौती की
वचन
लापरवाह माहौल
लाख रूपए की बात
वो पहला मिलन
वो नहीं रही
वो तोहफा
वो जो बोली
वो गंदी ही थी
वो कोठेवाली
वो एक शब्द
वो एक अजीम इंसान था
वो अफसर
वीसा पंजाब का
वाह, बेटी, वाह!
वारिस
वहशी रुत
वो शादी
वो सफर
वो संतुष्टि
शर्म बहुत आयी
शहरिये
वी आई पी भाई
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