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प्रेरणा कथायें (तीसरी पुस्तक)
प्रोफेसर राजकुमार शर्मा
अक्सर बड़े या बालिग़ लोग समझते हैं के प्रेरणा कथायें या प्रेरक कहानियां सिर्फ बच्चो के लिए ही होती हैं, लेकिन ये एक ऐसा विचार है जिसमे से उनके अंदर गहराई तक बैठ चुके इस भरम का आभास होता है के वो सब कुछ जान और समझ चुके है।
कहानी तो कहानी होती है पर ये पढ़ने वाले पाठक के अनुभव, बुद्धि, और उम्र पर निर्भर करता है के वो किसी कहानी में से क्या प्राप्त कर लेता है! एक ही कहानी को अलग अलग उम्र के पाठक पढ़ते हैं पर सभी की टिप्पणियां अलग अलग हो सकती हैं क्योंकि कहानी खुद में ही एक विशाल सागर सी होती है जिसमें से लोग अपनी अपनी सामर्थ्य के अनुसार कुछ बूँदैं निकाल लेते हैं!
इस श्रंखला में जो कहानियां हम आपके समक्ष प्रस्तुत कर रही हैं वो सभी उम्र और सभी वर्ग के लोगों के लिए है। अब ये आप पर निर्भर करता है के आप क्या निकालते हैं इन कहानियों में से! सिर्फ आनंद या समय व्यतीत करने का माध्यम मानकर इन कहानियों को पढ़ते हैं या फिर इन कहानियों में उन चीजों को खोजते हैं जो प्रत्यक्ष रूप से पंक्तियों में नहीं लिखी हैं!
तो लीजिये अब आप तैयार हो जाइये इन कहानियों के गुलदस्ते के विभिन्न फूलों की खुशबु का आनंद लेने के लिए!
शुभ कामना
प्रोफेसर राजकुमार शर्मा
Table of Content
प्रेरणा कथायें (तीसरी पुस्तक)
Copyright
Table of Content
दो शब्द
माँ कौन थी
खाने का डिब्बा
दोषी है
कैसा अनुभव हुआ
एक ऐसा राष्ट्रपति
ह्रदय परिवर्तन
रसायन विज्ञान के जनक
गुलाम से बने वैज्ञानिक
बिना युद्ध लौट गया
महामारी
मालामाल हो गए
परख
पूत कपूत
निर्धन का भोजन
नीला पत्थर
निर्भीक छात्र
दोगले लोग
दुःख ले गया
दीपावली
दादा के समय की शादी
डाकू सरदार से संत
टूटे घड़े का पानी
टीचर का हाथ
जिम्मेवार
ज़मीर नहीं बिकेगा
छोटी जात
चरित्रहीन
गुलाबी सूट
गुलाब जामुन और कुत्ते
गुरु नानक देव और अत्याचारी शासक
गुप्त रखा
गिद्ध
गलत धंधा
खुशकिस्मत या बदकिस्मत
कार्यों की तुलना
कामवाली
कपड़े मेरे हैं
आखिरी पीढ़ी
ज़न्नत की मिटटी
ज़मीर की आवाज़
ज़ार ज़ार रो पड़े
यकीन
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