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नामवर होने का अर्थ (eBook)

Prerna Publication
Type: e-book
Genre: Magazine/Periodical
Language: Hindi
Price: ₹450
(Immediate Access on Full Payment)
Available Formats: PDF

Description

प्रस्तुत पुस्तक ‘नामवर होने का अर्थ’ पुस्तक के बारे में लेखक का कथन नामवर सिंह के जीवन एवं साहित्य का एक पार्श्वचित्र या प्रोफाइल है। इसे सही मायनों में ‘जीवनी’ भी नहीं कहा जा सकता। कोशिश यह रही है कि उनके जीवन एवं साहित्य का एक सामान्य परिचय इस पुस्तक के द्वारा प्रस्तुत हो जाए। इस कोशिश में मैं कहाँ तक सफल हुआ हूँ, यह स्वयं नहीं कह सकता। बस निश्चयपूर्वक इतना अवश्य कह सकता हूँ कि उनके जीवन एवं साहित्य को जानने-समझने का यह मेरा विनम्र प्रयास है।

About the Author

वरिष्ठ लेखक भारत यायावर की पहली कविता पुस्तक ‘झेलते हुए’ 1980 में, उसके पश्चात् ‘यहां है 1983’, ‘बेचैनी’ 1990 तथा ‘हाल बेहाल’ 2004 में अन्य तीन कविता पुस्तके प्रकाशित हुईं जो चर्चित रही। इसके अतिरिक्त ‘नामवर होने का अर्थ’ जीवनी तथा आलोचना में चार पुस्तके-‘नामवर सिह का आलोचनाकर्म’, ‘एक पुन: पाठ विरासत’, ‘रेणु का अंदाजेबयां’ तथा ‘पुरखों के कोठार से’ प्रकाशित हुई। साथ ही महावीरप्रसाद द्विवेदी एवं फणीश्वरनाथ रेणु की दुर्लभ रचनाओं का खोजकार्य कर उनकी पच्चीस पुस्तको का संकलन-संपादन किया तथा ‘रेणु रचनावली’ 1994 में तथा ‘महावीर प्रसाद द्विवेदी रचनावली 1996 में संपादित की। अन्य संपादित पुस्तको में तीन पुस्तके ‘कवि केदारनाथ सिंह’ 1990, ‘आलोचना के रचना पुरुष: नामवरसिंह’ 2003 एवं ‘महावीरप्रसाद द्विवेदी का महत्व’ 2004 में प्रकाशित हुई। भारत यायावर को ‘नागार्जुन पुरस्कार’ 1988, ‘बेनीपुरी पुरस्कार’ 1993, ‘राधाकृष्ण पुरस्कार’ 1996, ‘पुश्किन पुरस्कार’ मास्को 1997 तथा ‘महावीरप्रसाद द्विवेदी सम्मान’ रायबरेली से 2009 में सम्मानित किया गया।

Book Details

Number of Pages: 406
Availability: Available for Download (e-book)

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नामवर होने का अर्थ

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