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साइलेंस की शक्ति और कोरोना से मुक्ति (eBook)

कोविड समस्या नही बल्कि अवसर है।
Type: e-book
Genre: Self-Improvement
Language: Hindi
Price: ₹70
(Immediate Access on Full Payment)
Available Formats: PDF

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Description

कोविड समस्या नही बल्कि अवसर है। हमें अब कोरोना वायरस के साथ जीना सीखना होगा अपने जीवन की दैनिक दिनचर्या मे बदलाव करना होगा। कोरोना की वैश्विक महामारी आने के बाद लोगों में एक प्रकार से जीवन के प्रति भय और नकारात्मक दृष्टिकोण पैदा हुआ है। जिसके चलते लोग मानसिक तौर पर परेशान हैं और नींद एवं तनाव जैसी स्थिति का सामना कर रहे है। जिसके कारण लोगों की जीवन शैली पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
मौजूदा परिस्थिति में लोगों का जीवन ऐसे प्रभावित हुआ है कि लोग जल्द ही अपना आपा खो देते हैं। लेकिन हमें इस सच्चाई को भी स्वीकार करना होेगा कि अब हमें कोरोना के साथ ही जीना है।
अतः अब हमें कोरोना वायरस के साथ जीना सीखना होगा। लोगों को अपनी जिंदगी बचाने के लिए अपनी जीवनशैली को बदलना ही होगा। इसके साथ ही अपने भविष्य की चुनौतियों से लड़ने के लिए सभी को तैयार रहना होगा।
हमें करोनो वाइरस को समस्या के रूप में न देखकर एक अवसर के रूप में देखना होगा। करोनो वाइरस ने मानवीय सभ्यता को यह संदेश दिया है कि व न तो प्रकृति से खिलवाड़ करे और ने ही अपने शरीर से खिलवाड़ करें। इस रूप में हमें अपने सम्पूर्ण लाइफ स्टाइल को बदलना होगा। प्रकृति के संरक्षण पर विशेष ध्यान देते हुए शारीरिक रोग-प्रतिरोधक क्षमता वृद्धि के उपायों पर ध्यान देना होगा। सोशल डिस्टेंसिग, सार्वजनिक स्थलों पर मास्क का प्रयोग हमारी जीवन शैली में आ चुका है।
इसके अतिरिक्त मानवीय संवेदना के विकास का भी मुद्दा करोना वाइरस के आगमन ने उठाया है। हमें मजदूरों की समस्या का ज्ञान करोना वाइरस महामारी ने दे दिया है। अतः सामान्य परिस्थियों में भी मजदूरों, श्रमिकों के प्रति सवेंदनशील व्यवहार करना बहुत जरूरी है। लॉक डाउन की अवस्था में उद्योगों और फैक्ट्रियों में कार्य प्रारम्भ करने की अनुमति दे दी गई है। परन्तु श्रमिकों एवं मजदूरों की अनुउपलब्धता के कारण सुचारू रूप से फैक्ट्रियां नहीं चल पा रही है। इस स्थिति में मजदूरों और श्रमिकों की महत्ता को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है।
मरीजों के प्रति उपेक्षा और अमानवीय व्यवहार की घटनाऐं भी सामने आ रही है जिसे किसी भी दृष्टि से उचित नही ठहराया जा सकता है। मरीजों के प्रति सहानुभूति की जरूरत नहीं हैं, बल्कि मरीजों को सहयोग, संरक्षण और उत्साहवर्धन की अधिक आवश्यकता है।

About the Author

लेखक

मनोज कुमार श्रीवास्तव जीवन की चुनौतियों को दार्शनिक पैमाने से विश्लेषित करते हैं। विश्लेषण के बाद समस्याओं का व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत करते हैं। इनकी पूर्व पुस्तकों में भी सामान्य जीवन का दार्शनिक और आध्यात्मिक विश्लेषण किया गया है। इस विश्लेषण में समस्या को सामने रखकर सरल समाधान प्रस्तुत किया गया है। उत्तर प्रदेश, आजमगढ़ जनपद के मनोज श्रीवास्तव ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विभिन्न विषयों की पढ़ाई की। उत्तराखण्ड पी0सी0एस0 2002 बैच, प्रशासनिक सेवा में आने के बाद दर्शन के आधारभूत तत्व का व्यवहारिक विश्लेषण प्रारम्भ किया।
यह अकारण नहीं है कि इस पुस्तक में भी दार्शनिक पहलुओं की व्यवहारिक अभिव्यक्ति हुई है। पुस्तक के समस्त कथ्यों में मोटिवेशनल(प्रेरणा परक) प्रतिध्वनि देखी जा सकती है।

लेखक की पूर्व प्रकाशित पुस्तक:-

1. मेडिटेशन के नवीन आयाम, प्रभात प्रकाशन दिल्ली, 2016
2. आत्मदीप बनें, प्रभात प्रकाशन दिल्ली, 2017
3. गुस्से का सॉफ्टवेयर और ऑपरेटिंग सिस्टम, प्रभात प्रकाशन दिल्ली,
4. आँचल.... बनता आसमां नोशन प्रेस 2020
सम्मान:- विक्रमशीला हिन्दी पीठ द्वारा विद्यावाचस्पति(पी0एच0डी0) की मानद उपाधि।

सम्प्रति:- श्री मनोज श्रीवास्तव
सहायक निदेशक सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग,
प्रभारी अधिकारी, उत्तराखण्ड विधान सभा मीडिया सेन्टर, उत्तराखण्ड सरकार।
नोडल अधिकारी मीडिया, हरिद्वार कुम्भ मेला-2021
9412074595

डॉ शिप्रा मिश्रा (अंजू) होम्योपैथिक, अपने पति डॉ मनोज मिश्रा के साथ चिकित्सक के रूप में सेवा देती हैं तथा महाराष्ट्र सरकार द्वारा चलाई जाने वाली प्रोजेक्ट मुम्बई डिस्ट्रिक्ट एड्स कण्ट्रोल सोसाइटी के अंतर्गत राष्ट्र स्वास्थ्य प्रबोधिनी संस्था में भी मेडिकल सेवायें दे रही हैं। इसके साथ ही मुम्बई में, ज्यूडिशियल अकादमी के अन्तर्गत मेडिकल ऑफिसर के पद पर भी सेवारत हैं।
एम-006, साइलेंट पार्क मीरा भयन्दर रोड, भयन्दर ईस्ट थाणे, 400110, 7977614469

shipramishra034@gmail.com

Book Details

Publisher: self
Number of Pages: 68
Availability: Available for Download (e-book)

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साइलेंस की शक्ति और कोरोना से मुक्ति

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