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कोविड समस्या नही बल्कि अवसर है। हमें अब कोरोना वायरस के साथ जीना सीखना होगा अपने जीवन की दैनिक दिनचर्या मे बदलाव करना होगा। कोरोना की वैश्विक महामारी आने के बाद लोगों में एक प्रकार से जीवन के प्रति भय और नकारात्मक दृष्टिकोण पैदा हुआ है। जिसके चलते लोग मानसिक तौर पर परेशान हैं और नींद एवं तनाव जैसी स्थिति का सामना कर रहे है। जिसके कारण लोगों की जीवन शैली पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
मौजूदा परिस्थिति में लोगों का जीवन ऐसे प्रभावित हुआ है कि लोग जल्द ही अपना आपा खो देते हैं। लेकिन हमें इस सच्चाई को भी स्वीकार करना होेगा कि अब हमें कोरोना के साथ ही जीना है।
अतः अब हमें कोरोना वायरस के साथ जीना सीखना होगा। लोगों को अपनी जिंदगी बचाने के लिए अपनी जीवनशैली को बदलना ही होगा। इसके साथ ही अपने भविष्य की चुनौतियों से लड़ने के लिए सभी को तैयार रहना होगा।
हमें करोनो वाइरस को समस्या के रूप में न देखकर एक अवसर के रूप में देखना होगा। करोनो वाइरस ने मानवीय सभ्यता को यह संदेश दिया है कि व न तो प्रकृति से खिलवाड़ करे और ने ही अपने शरीर से खिलवाड़ करें। इस रूप में हमें अपने सम्पूर्ण लाइफ स्टाइल को बदलना होगा। प्रकृति के संरक्षण पर विशेष ध्यान देते हुए शारीरिक रोग-प्रतिरोधक क्षमता वृद्धि के उपायों पर ध्यान देना होगा। सोशल डिस्टेंसिग, सार्वजनिक स्थलों पर मास्क का प्रयोग हमारी जीवन शैली में आ चुका है।
इसके अतिरिक्त मानवीय संवेदना के विकास का भी मुद्दा करोना वाइरस के आगमन ने उठाया है। हमें मजदूरों की समस्या का ज्ञान करोना वाइरस महामारी ने दे दिया है। अतः सामान्य परिस्थियों में भी मजदूरों, श्रमिकों के प्रति सवेंदनशील व्यवहार करना बहुत जरूरी है। लॉक डाउन की अवस्था में उद्योगों और फैक्ट्रियों में कार्य प्रारम्भ करने की अनुमति दे दी गई है। परन्तु श्रमिकों एवं मजदूरों की अनुउपलब्धता के कारण सुचारू रूप से फैक्ट्रियां नहीं चल पा रही है। इस स्थिति में मजदूरों और श्रमिकों की महत्ता को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है।
मरीजों के प्रति उपेक्षा और अमानवीय व्यवहार की घटनाऐं भी सामने आ रही है जिसे किसी भी दृष्टि से उचित नही ठहराया जा सकता है। मरीजों के प्रति सहानुभूति की जरूरत नहीं हैं, बल्कि मरीजों को सहयोग, संरक्षण और उत्साहवर्धन की अधिक आवश्यकता है।
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