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जिंदगी की हकीकत यह है कि वह न जाने कितने कठिन दौर से गुजरती है और फिर हर बार टूट कर खड़ी हो जाती है । जानते हैं क्यों ? क्योंकि जिंदगी हकीकत नहीं ख्वाब के सहारे जी जाती है । मैंने एक दिन अपनी कविताओं को देखा तो मुझे उसमें ढेर सारे दर्द और ख्वाब नजर आए । मुझे हंसी आ गई मैं सोचने लगा जिंदगी दर्द है या ख्वाब । फिर अहसास हुआ हर लम्हे में एक ही जिंदगी अलग अलग होती है और हम बस लम्हों को जीते है वे कभी ख्वाबा के होते हैं कभी हकीकत के ।
मैंने यहाँ वही ख्वाब और दर्द की भीड़ इककट्ठा कर के रख दी है । शेष आप जानिए : -
उम्मीद
रोज इस उम्मीद के साथ उठता हूँ,
आज दुनियां बदल जाएगी।
रोज दुनियां बदल जाती है,
उम्मीद नहीं।
हौसला
मुश्किलें
कभी खत्म नहीं होंगी,
हौसला है ,
तो मुश्किलों से
दोस्ती कर लो।
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