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दोराहा (मार्मिक उपन्यास)
मोहिनी कुमार
हँसते खेलते जीवन में अचानक आ गए भयानक तूफ़ान के कारण जब वो एक दोराहे पर खड़ी हो जाती है तो उसको ना सिर्फ अपने बारे में सोचना पड़ता है बल्कि अतीत के द्वारा प्रदान किये गए एक जीते जागते खूबसूरत फल के बारे में भी सोचना पड़ता है।
पीछे दुखद अतीत की मार्मिक घटना है, और आगे उज्जवल भविष्य की उम्मीद, लेकिन वो भविष्य को चुनकर जब जीवन में आगे बढ़ने लगती है तो उसको आभास होता है के जिस मासूम के लिए उसने भविष्य की उम्मीद को अपनाया था वो वैसा नहीं साबित होता है जैसे उसने सोचा था।
भविष्य भी उसको प्रेम का एक जीता जागता फल देता है पर वो एक सोचों के बवंडर में फंस जाती है के वो अतीत के फल को ज्यादा महत्त्व दे या भविष्य के फल को क्योंकि वो तो दोनों फलों का हिस्सा है लेकिन उन दोनों फलों को प्रदान करने वाले दो अलग अलग इंसान हैं।
शायद आप उलझ गए होंगे के इस प्रकार का अलंकारिक या प्रतीकात्मक वर्णन की क्या जरूरत थी, साफ साफ़ कहानी के विषय के बारे में भी तो बताया जा सकता था, लेकिन मेरा मानना है के इस शब्दों के जाल से आप खुद निकलें और खुद इन अलंकारों और प्रतीकों के पीछे के अर्थ जानें तो ही अच्छा होगा!
शुभकामना
मोहिनी कुमार
दोराहा (मार्मिक उपन्यास)
कॉपीराइट
तालिका
दो शब्द
दूसरा समुद्री सफर
पहला समुद्री सफर
उसके जाने के बाद
फिर कॉलेज की ओर
वो प्यार जो नहीं दिखा था
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