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आपके बच्चों की जब स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई खत्म हो जाएगी, तो आप उनसे पैसे कमाने के लिए ही कहेंगे, क्यों, सही है ना। लेकिन, इतनी जरूरी चीज के बारे में आप अभी से नहीं बताना चाहते हैं। आप बच्चों को प्री-नर्सरी स्कूल में भेज सकते हैं, डांस क्लासेस, पेंटिंग क्लासेस, कराटे-क्रिकेट-ताइक्वांडो-स्विमिंग की कोचिंग के लिए भी भेज सकते हैं, लेकिन जो जिंदगी को खुशनुमा बनाने के लिए सबसे जरूरी चीज है पैसा उसके बारे में उनको नहीं बताएंगे। ये तो बच्चों के साथ सरासर नाइंसाफी है।
आपको पता है एक रिसर्च के मुताबिक, डेढ़ से छह साल की उम्र तक बच्चों का 80-90 प्रतिशत दीमाग विकसित हो जाता है। और आप सब जानते हैं कि हमारी 80-90 प्रतिशत जरूरतें पैसों से पूरी होती है। तो, क्यों ना, बच्चों को डेढ़ से छह साल की उम्र से पैसों के बारे में बताना शुरू कर दिया जाए। आखिर, पढ़-लिखकर और बड़ा होकर भी तो उसे पैसे ही कमाना है। तो फिर दौलतमंदों के बारे में उसी समय से क्यों ना बताया जाए जिस समय से हम उनको A, B, C, D...... क, ख, ग, घ,...... या फिर 1,2,3,4,5.....बताना शुरू कर देते हैं।
अब जमाना बदल गया। बच्चे अब पहले वाले बच्चे नहीं रहे। स्मार्टफोन, टैबलेट, वीडियोगेम, यूट्यूब के जमाने में बच्चों की भी आदतें बदल गई है। स्मार्टफोन पर उनकी अंगुलियां हमसे ज्यादा तेजी से चलती है। स्मार्टफोन का फंक्शन बच्चे हमसे ज्यादा जानते हैं। सभी मां-बाप की चाहत होती है कि उनका भी बच्चा बिलियनेयर बने, उनका भी किड्स करोड़पति बने, रईसों की लिस्ट में उसका भी नाम हो, कामयाबी की कहानियों में उसका भी जिक्र हो, लेकिन सवाल है कि इसके लिए मां-बाप किस तरह से अपने बच्चों को तैयार कर रहे हैं? बच्चों को अभी से ही अमीरी सिखानी होगी। अगर बच्चों को दौलतमंद बनते हुए देखना चाहते हैं तो उन्हें भी दौलतमंदों के बारे में अभी से बताना होगा। ये सोचना सही नहीं होगा कि बच्चों को अगर अभी से पैसों या अमीरी के बारे में बताया, तो वो नहीं समझ पाएंगे। जब बिना किसी ट्रेनिंग के बच्चे स्मार्टफोन चलाने में स्मार्ट हो जाते हैं, काफी छोटी उम्र में डांस में एक्सपर्ट हो जाते हैं, तो फिर उनको दौलतमंदों के बारे में बताना कहीं से नुकसानदेह नहीं है।
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