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मेरे प्यारे राष्ट्रनिर्माताओं,
जय भीम।।
देश की हालत और सरकार का रवैया अब किसी से छिपा नही है। जिस प्रकार खूले तौर पर हत्याएं की जा रही हैं। जनता के बीच डर को फैलाया जा रहा है उनके सोचने बोलने पर पाबन्दी लगाई जा रही है। कभी कभी तो यह जान पड़ता है कि घृणतम् मनु राज लौट आया है। यह सभी गैरकानूनी गतिविधियां सबके साथ हो रही है क्या स्वर्ण!! क्या दलित-स्वर्ण!! क्या राष्ट्रनिर्माता!!
मेरी नजर आप राष्ट्रनिर्माताओं के स्थिति पर है क्या हो? कैसे आप बेहतर हों? आपने अपने खून से संसद के ईंट ईंट को जोड़ा और आज आप ही उस दिवाल के छावं से भी वंचित हो गए!
क्या यही है वर्तमान सरकार? यही है इसकी हूकूमत? क्या यही है इसकी नीतियां? क्या यही है इस सरकार का उद्देश्य? आखिर यह सरकार देश को और देश के निर्मातोओं को दूनिया के किस चैराहे पे खड़ा करना चाहती है?
मेरे प्यारे राष्ट्रनिर्माताओं अगर ये बहरे, गूंगे शोषक लोग तूम्हारी बात नही सूनते तो कर दो तूम इनके खिलाफ बगावत। शांति प्रिय वह बम बाँधो जिससे इनके राजशाही सोच के नश नश की धज्जीयां उड़ जाए। खूला सरेआम बहिष्कार करो सम्पूर्ण क्रान्ति करो। मैं हू तूम्हारे साथ तूम्हारे साथ निले सूरज के आगमन करने के लिए, तूम्हारे साथ लाल धारी में सजे सूरज के आगमन के लिए, तूम्हारे साथ हरे छिटंदार सूरज के आगमन के लिए।
तूम्हारे साथ जीतने के लिए और जिन्दा रहने के लिए।
हमारे देश के राष्ट्रनिर्माताओं याद रखो बदलाव ऐंठे हूए आँत में लगे आग से आती है। यही वह एकमेव आग है जो पूरी की पूरी लोकतांत्रिक राजशाही राज को फूलन सा तहश नहश कर सकती है।
आप अपनी ताकत पहचानों कोई सिधे आँत वाला तूम्हारा साथ नही देने वाला। तूम्हें अपनी लड़ाई खूद ही लड़नी होगी। जीतनी होगी।।
तुम्हारे ही जैसा तुम्हारा दोस्त
राजवंशी जे. ए. अम्बेडकर
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