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अनकही परिकथा के जैसी
राजा शर्मा
विषय सूची
दो शब्द
छे घंटे पहले
पांच घंटे पहले
चार घंटे पहले
तीन घंटे पहले
कुछ देर के बाद
"अनकही परिकथा के जैसी", एक ऐसी दिलकश प्रेम कहानी जो आपको भावनाओं के समंदर में डूबने पर मजबूर कर देगी।
राजा शर्मा द्वारा लिखित, यह पुस्तक आनंद और सुगंधा की प्रेम यात्रा की दास्तान है। सात वर्षों के इस रिश्ते में प्रेम के साथ-साथ अनगिनत उतार-चढ़ावों का सामना करना पड़ता है।
कॉलेज के दिनों का वह मासूम प्यार, जो समय-समय पर छोटे-छोटे झगड़ों और गलतफहमियों की आग में तपता है, आखिरकार एक ऐसे मोड़ पर आकर टूट जाता है जहाँ सब कुछ बिखर जाता है।
आनंद, एक प्रतिभाशाली ग्राफिक डिज़ाइनर और अद्वितीय चित्रकार, इस विछोह के बाद जीवन के अंधेरों में खो जाता है। वह अपनी संकलित की गई तस्वीरों में बार-बार सुगंधा को ढूंढने की कोशिश करता है, अपनी बीती यादों में डूबता है, लेकिन इस खोज में उसे सिर्फ गहरा दुःख ही मिलता है। उसका हर चित्र, हर रंग सुगंधा की यादों को ताजा कर देता है और उसकी तन्हाई को और भी गहरा बना देता है।
फिर एक दिन, एक दुर्घटना के बाद, कहानी एक निर्णायक मोड़ पर पहुँचती है। आनंद को यह कड़वा सच स्वीकार करना पड़ता है कि हर परिकथा का सुखद अंत नहीं होता। लेकिन, इस 'लेकिन' में ही छिपी है एक नई शुरुआत की उम्मीद की किरण।
यह कहानी आपको अपने साथ प्रेम, विछोह और आशा की एक अनूठी यात्रा पर ले जाएगी। "अनकही परिकथा के जैसी" आपको सोचने पर मजबूर करेगी कि क्या सच में हर कहानी का सुखद अंत होना जरूरी है, या फिर हर अंत अपने आप में एक नई शुरुआत का संकेत होता है।
यदि आप दिल की गहराइयों से प्रेम और दर्द को महसूस करना चाहते हैं, तो इस पुस्तक को अवश्य पढ़ें। यह कहानी आपके दिल में एक अनकही कसक छोड़ जाएगी और आपको प्रेम के नए आयामों से परिचित कराएगी।
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