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उसने घूमकर देखा तो पाया कि आवाज देने वाला उसका एक पुराना ग्राहक था। शीला नें उसको पहचान लिया और एक प्यारी सी मुस्कान दी।
"आज शाम को क्या कर रही हो अगर फ्री हो तो मेरे साथ् आ जाओ," उस जवान लड़के ने कहा।
"नहीं, आज शाम को मेरी बुकिंग है और मुझे एक ग्राहक के साथ् जाना है," शीला ने कहा।
"लेकिन मैं तुमको दो गुना पैसे दूँगा अगर तुम आज की रात मेरे साथ् बिताने को तैयार हो तो," उस जवान लड़के ने उत्साह और आशा के साथ् कहा।
"नहीं, आज तो मैं किसी और के साथ् बाहर जा रही हूँ, और अब कुछ महीनों तक मैं खाली नहीं होने वाली हूँ, तो तुमको तो एक लम्बा इन्तेजार करना पड सकता है," शीला ने कहा और मुड़कर जाने लगी।
लेकिन उस जवान लड़के ने उसका हाथ पकड कर उसको रोक लिया और बोला, "क्यों, क्या अब सती सावित्री बनने का निश्चय कर लिया है?"
एक भीगी साँझ
अध्याय एक: शीला का जीवन
अध्याय दो: विदित
अध्याय तीन: उथल पुथल
अध्याय चार: विदित और अजीत
अध्याय पांच: शीला फिर से
अध्याय छः: आपातकालीन कक्ष
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