You can access the distribution details by navigating to My pre-printed books > Distribution
उसकी लाश को एक छोटे से सुन्दर लकडी के बक्से में रखा गया था और सभी लोग उस बक्से को बारी बारी से उठाकर एक पंक्ती में बंगलोर शहर के बीचों बीच स्थित कब्रिस्तान की ओर धीरे धीरे जा रहे थे। सभी की आन्खें नम थी।
सुन्दर नीली आन्खें, चमकता हुआ भूरा रंग, असाधारण स्वरूप, और निर्बोध हंसी वाली वो छोटी परी हर किसी के मन में वैठ जाती थी।
जब वो अपनी मीठी अवाज में बोलती थी तो सब का मन मोह लेती थी। उसके व्यवहार और बातों से ही पता चलता था कि उसके संस्कार उच्च थे।
लोग कहते थे कि उसमे उसके विद्वान पिता और माता के गुण मिल कर एक हो गए थे। उसके माता पिता बहुत अच्छे परिवारों से थे।
Currently there are no reviews available for this book.
Be the first one to write a review for the book ओस की एक बूँद.