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क्या मैं परिकल्पना हूँ?
राजा शर्मा
यह एक ऐसी महिला की कहानी है जिसे एक सभ्य समाज के अंदर छिपी बुराइयों को सहना पड़ता है, जो जीवन के शुरुआती वर्षों से हमें भी अच्छाइयाँ ही लगती हैं लेकिन समय के साथ हमें मालूम चलता है के सब सुनहरा सोना नहीं होता है!
अपने संघर्ष में वह जीवन के कई उतार-चढ़ाव का अनुभव करती है और इस दुनिया का असली रूप देखती है। जीवन के अपने सफर के दौरान, वह कई चेहरों को अपने मुखौटे उतारते हुई देखती है।
हम निश्चित रूप से केवल इतना कह सकते हैं कि जब आप हमारी नायिका की कहानी के साथ चलेंगे तो आप कई बार भावुक हो जायेंगे, और शायद आपकी आँखों से आँसू भी गिरने लगें!
इस कहानी में पश्चिमी देशों के पाठक भारतीय समाज के कुछ ऐसे पहलुओं के बारे में जानेंगे जिनके बारे में शायद उन्हें कुछ भी पता नहीं है।
तो चलिए हम आपको एक नई दुनिया में ले चलते हैं जहां अनैतिकता है, अपराध है, भ्रष्टाचार है, छल है, वेश्यावृत्ति है, और अनंत दुख और आंसू हैं।
शुभकामना
क्या मैं परिकल्पना हूँ?
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Table of Content
कुछ शब्द
मेरे बारे में
कार्यवाही
माउंट जॉय
नई दिल्ली
सपना बिखर गया
पूछताछ
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