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एजेंट – विश्वास और शक्ति का दोहरा खेल
क्या गांधी वास्तव में राष्ट्रपिता थे – या सिर्फ एक राजनीतिक एजेंट?
यह पुस्तक गांधी और कांग्रेस की छवि पर सवाल उठाती है, जिसे दशकों से प्रचारित किया गया है। रामजी मंडल द्वारा लिखित, यह भारत के हाशिए पर बसे समुदायों – दलितों, ओबीसी और पिछड़ी जातियों के दृष्टिकोण से एक सशक्त और तथ्यात्मक आलोचना प्रस्तुत करती है।
इस पुस्तक में क्या है:
67 अध्यायों में, लेखक यह उजागर करते हैं कि गांधी के “स्वराज” और “अहिंसा” के विचारों का उपयोग कैसे शोषितों को भावनात्मक रूप से नियंत्रित और दबाने के लिए किया गया। गांधी के अपने लेखन और भाषणों का उपयोग करते हुए, पुस्तक यह दिखाती है कि उन्होंने जाति व्यवस्था का समर्थन किया और दलितों और पिछड़ी जातियों को वास्तविक अधिकारों से वंचित किया।
आपको इसे क्यों पढ़ना चाहिए:
यदि आप डॉ. अंबेडकर, फुले, पेरियार या कांशी राम के विचारों का पालन करते हैं, तो यह पुस्तक आपको भारतीय इतिहास का एक नया दृष्टिकोण देगी। यह केवल एक पुस्तक नहीं है – यह सोचने, सवाल उठाने और जागने का आह्वान है।
यह किसके लिए है:
दलित, ओबीसी और पिछड़ी जातियों के युवा
सामाजिक न्याय और सच्चे भारतीय इतिहास के छात्र और पाठक
जो लोग पाठ्यपुस्तकों के परे सत्य जानना चाहते हैं
एजेंट पढ़ें – और देखें वह सत्य जो दशकों तक छिपा हुआ था।
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