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अनुगूँज (eBook)

कविता संग्रह
Type: e-book
Genre: Poetry
Language: Hindi
Price: ₹25
(Immediate Access on Full Payment)
Available Formats: PDF

Description

साहित्य मानव की आत्मा की सबसे गहन अभिव्यक्ति है। शब्दों के माध्यम से जब भावनाएँ, अनुभव और विचार आकार लेते हैं, तो वे केवल लिखित पंक्तियाँ नहीं रहते, बल्कि पाठकों के हृदय में जीवित हो जाते हैं। कविता इस अभिव्यक्ति का सबसे संवेदनशील और प्रभावशाली रूप है—जहाँ एक छोटा-सा शब्द भी संपूर्ण जीवन का दर्शन समेट सकता है।

निरमा प्रकाशन, जोधपुर द्वारा प्रस्तुत यह साझा कविता-संकलन ग्यारह रचनाकारों के मन और मस्तिष्क की सजीव अनुभूतियों का सामूहिक दस्तावेज़ है। इसमें विषय की कोई सीमा नहीं रखी गई है, क्योंकि रचनात्मकता अपने आप में स्वतंत्र और असीम होती है। यही कारण है कि इस संग्रह में विविध रंग, स्वर और भावनाएँ एक साथ पाठकों के समक्ष उपस्थित हैं—कहीं जीवन की खुशबू है, कहीं पीड़ा की करुण पुकार; कहीं आशा की किरण है, तो कहीं यथार्थ का कठोर सत्य।

इस संकलन में संकलनकर्ता रितेश मौर्य की कविताएँ रस की माटी, राग की धारा और अंतर का अरण्य जीवन और भाव-जगत की गहन अनुभूतियों को प्रकट करती हैं।
पूनम चौधरी अपनी रचनाओं फैलती जीवन में उजास और मैं हार नहीं मानूंगी से संघर्ष और आशा का उज्ज्वल संदेश देती हैं।
अनीता कावतरा की कविताएँ मैं अनीता हूं शक्ति की वो परिभाषा और सदियों में सिर्फ एक बार नारी-शक्ति और उसकी पहचान का सशक्त स्वर प्रस्तुत करती हैं।
मीनाक्षी सुकुमारन की ज़िंदगी के कैनवास पर और सिलवटें माथे पर तनाव जीवन की चुनौतियों और मनोभावों को संवेदनशीलता से उकेरती हैं।
समीर अहमद की रचनाएँ ज़िंदगी और मेरा जीवन तेरे नाम प्रेम और समर्पण की आत्मीय अभिव्यक्ति हैं।
अशोक कुमार भटनागर की कविताएँ खिड़की के उस पार और मौन से स्वर तक आत्ममंथन और मौन की गहराइयों को उद्घाटित करती हैं।
जया शर्मा प्रियवंदा की निशब्द मैं और मौन अंतर्यात्रा और आत्मनिरीक्षण का दर्पण हैं।
एनी की रचनाएँ संकल्पना और तुझमें मैं हूं प्रेम, आत्मिक जुड़ाव और अस्तित्व के भावों को साकार करती हैं।
खुशबू भारती अपनी कविताओं नारी की शक्ति और जीवन की कड़वी सच्चाई से यथार्थ और स्त्री-विमर्श का गहन स्वर देती हैं।
वहीं गुरुदास प्रजापति राज की सावन के बाहर ना और पुस्तक की शक्ति संवेदनशीलता और ज्ञान की महत्ता को उजागर करती हैं।
अंत में अनिल कुमार जसवाल की बरसात का कठिन दौर ओर प्रकृति का रौद्र रूप प्रकृति पर आधारित कविता है जो मानव को प्रकृति के प्रति जागरुकता का संदेश देती है।

इन कविताओं में प्रत्येक लेखक की अपनी संवेदनशील दृष्टि और विशिष्ट शैली झलकती है। यह संग्रह न केवल शब्दों का मेल है, बल्कि अनुभवों का साझा उत्सव भी है। अलग-अलग विचारधाराओं और मनोभावों का यह संगम पाठकों को जीवन के अनेक आयामों से परिचित कराता है।

हमें विश्वास है कि यह संकलन पाठकों को आत्मिक आनंद और विचारों की नवीन दृष्टि प्रदान करेगा। यह साझा प्रयास न केवल साहित्यिक परंपरा को आगे बढ़ाएगा, बल्कि नए और पुराने रचनाकारों के बीच एक सृजनात्मक संवाद भी स्थापित करेगा।

आशा है कि यह कविता-संग्रह अपने उद्देश्य में सफल होगा और साहित्य-प्रेमियों के हृदय में एक स्थायी स्थान बनाएगा।

About the Author

रितेश मौर्य उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जनपद के मूल निवासी हैं। इनकी पारिवारिक जड़ों में संस्कार और समर्पण गहराई से रचे-बसे हैं। इनके पिता श्री राकेश मौर्य एवं माता श्रीमती तारा मौर्या हैं, जिनके आदर्शों एवं प्रोत्साहन ने रितेश को जीवन में उद्देश्यपूर्ण दिशा दी। शिक्षा के प्रति विशेष समर्पण रखने वाले रितेश ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती विद्या मंदिर, निराला नगर, लखनऊ से प्राप्त की, तथा नेशनल इंटर कॉलेज, लखनऊ से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्तमान में वे मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर से रसायन अभियंत्रण (Chemical Engineering) में स्नातक स्तर की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। विज्ञान एवं तकनीकी विषयों में गहरी रुचि रखने वाले रितेश का रुझान साहित्य, विशेषतः लेखन, कविता तथा सामाजिक चिंतन की ओर भी अत्यंत प्रबल है। उनके विचारों में संवेदना, सरोकार और समाज के प्रति उत्तरदायित्व की स्पष्ट झलक मिलती है। “अनुगूंज” के माध्यम से रितेश मौर्य साहित्यिक अभिव्यक्ति की अपनी यात्रा में एक नया अध्याय जोड़ रहे हैं

Book Details

ISBN: 9788199079410
Publisher: Nirma Prakashan
Number of Pages: 46
Availability: Available for Download (e-book)

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