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'जंजीरे शहंशाह की नगरी' का यह द्वितीय संस्करण लेखिका की पहली प्रकाशित कृति है जो स्वस्थ मनोरंजन करने के कारण सिर्फ बच्चों में ही नहीं बल्कि हर वर्ग के लोगों में एक लोकप्रिय स्थान बनाता जा रहा है ।
आपकी बातें.......
‘शुभकामनाएँ,पहली असाधारण एवं वैभवपूर्ण कृति के लिए । उपहार योग्य पुस्तक’ .......... अरुण कुमार मिश्रा, रेलवे अभियंता
‘मन के तार को बचपन रूपी नाव में बिठाकर सैर कराती हुई एक ज्ञानवर्धक व जादूई रचना’ ...... सौम्यदेव चटर्जी, रिटायर्ड शिक्षक
‘पुस्तक का हर चरित्र अपने आप में पूर्ण है जिसे पढ़कर पाठक का रोमांच चरम सीमा पर आ जाता है’ .... कुमार शिवेन्द्र मदनपुरी, दूरसंचार अधिकारी
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