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बालक हो, युवा हो अथवा वृद्ध हो, सबकी कहानियाँ सुनने में स्वाभाविक रुचि रहती है। समाज के उत्थान और पतन में कहानियाँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सन्तों के मुख से निःसृत कहानियाँ जहाँ समाज में अमृत (सद्गुण-सदाचार)—की गंगा बहाती हैं, वहीं सांसारिक उपन्यास, सिनेमा, टेलीविजन आदि के द्वारा प्रसारित कहानियाँ समाज में विष (दुर्गुण-दुराचार)—की सरिता बहाती हैं। बालक की प्रथम गुरु माँ भी कहानियों के माध्यम से ही उसके कोमल हृदय में अच्छे संस्कार जाग्रत करती है, जो उसके भावी जीवन को उन्नत बनाने में सहायक होते हैं।
कहानियों का संकलन प्रस्तुत पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जा रहा है। आशा है, पाठकगण इन रोचक एवं ज्ञानप्रद कहानियों को पसन्द करेंगे और इनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारने की चेष्टा करेंगे।
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