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मेरा गाँव (eBook)

भारत में कोविड-19 वायरस, की महामारी फेज-2 की लहर
Type: e-book
Genre: Politics & Society, History
Language: Hindi
Price: ₹5
(Immediate Access on Full Payment)
Available Formats: PDF

Description

दो शब्द

भारत में कोविड-19 वायरस, की महामारी फेज-2 की लहर ने देश में लाखों लोगो की सांसें रातों-रात छीन ली थी, महज़ दो माह के अंदर देश में कोहराम मचा दिया था। देश की कई उच्च-अदालतों ने इसे सरकारी ‘नरसंहार’ की संज्ञा तक दे डाली थी। आक्सीजन के अभाव में अस्पतालों से लेकर सड़कों तक लोगों ने दम तोडना शुरू कर दिया था। डाक्टर सरकारी कुव्यवस्था के सामने लाचार लोगों को मरते देख रो रहे थे। चाह कर भी किसी को बचाने में वे सब लाचार थे। मरने वालों की संख्या सरकारी आंकड़ों से कई गुणा अधिक बताई जा रही थी। सरकारी दावे सारे के सारे छोटे पड़ने लगे। उनकी संख्या का अंदाज श्मशान घाटों से ले कर, गंगा में बहती लाशों तक चीख-चीख कर बोलने लगे। कुछ राज्यों में नदी के दोनों तटों पर मीलों तक लाशों का मेला लग चुका था।। लाशों को जलाने की लकड़ी भी नसीब नहीं थी। गांवों में और भी भयानक स्थिति थी।
लेखक ने कई गांवों का अध्ययन किया, राजस्थान से लेकर, बिहार तक सारी जगह एक ही स्थिति बयान हो रही थी।
लेखक ने एक काल्पनिक गाँव का चित्रण कर सभी उन दिनों की स्थितियों को अपने शब्दों में समेटने का छोटा सा प्रयास किया है, ताकि आने वाली पीढ़ी इस स्थिति को देख सके कि कैसा था भारत का 21वीं सदी।
इसके कुछ भाग को कई बार संशोधित किया हूँ एवं आज प्रकाशन की तिथि तक नोट में अपनी टिप्पणी दे दी हूँ। इस उपन्यास का अंग्रेजी संस्करण “Genocide-2021”भी निकाला हूँ ताकि गैर हिन्दी भाषी भी इसे पढ़ सके। सधन्यवाद, जयहिन्द!
लेखक - शंभु चौधरी

About the Author

लेखक परिचयः श्री शम्भु चौधरी का जन्म 15 अगस्त 1956 को कटिहार (बिहार) में हुआ। गत 40 वर्षों से कोलकाता में ही स्थाई निवास। आपकी एक पुस्तक "मारवाड़ी देस का ना परदेस का" प्रकाशित। आपने 57 साल की उम्र में विधि की परीक्षा पास की एवं 62 साल की उम्र में मास कम्यूनिकेशन पर मास्टर की परीक्षा पास की।
बचपन से ही कविता, लघुकथा, व सामाजिक लेख लिखना, देश के कई पत्र-पत्रिकाओं में लघुकथा, कविताओं, सामाजिक व राजनैतिक विषयों पर लेखों का प्रकाशन। स्वतंत्र पत्रकारिता करना व सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध जन मानस को जगाना। "देवराला सती काण्ड" के विरुद्ध कलकत्ता शहर में जुलूस निकालकर कानून में संशोधन कराने में सक्रिय भूमिका का निर्वाह। सामाजिक विषय पर चिन्तनशील कई पुस्तकों का सम्पादन। समाज के युवाओं को संगठित कर उनको विकासमूलक कार्यों में लगाना, राजनीति का समाजीकरण करना, व स्वतंत्र पत्रकारिता में रुचि। कलकत्ता से प्रकाशित "समाज विकास" सामाजिक पत्रिका के कार्यकारी संपादक पद पर कार्य कर चुके श्री चौधरी जी के कई लेखों ने सामाजिक और राजनीतिक समीकरण में बदलाव लाया है। विधि विषय पर कई पुस्तकों को प्रकाशन। ‘‘मेरा गाँव, यह इनकी पहली उपन्यास है ।

Book Details

Publisher: शंभु चौधरी
Number of Pages: 23
Availability: Available for Download (e-book)

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मेरा गाँव

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