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एक उत्तरजीवी (मार्मिक उपन्यास)
शलभ सिंह
कितनी खुश थी वो अपने छोटे से परिवार में अपने बहुत ही प्यार करने वाले मम्मी और डैडी के साथ! पर शायद उसकी खुशियों पर नियति ने ही घात लगाए बैठा एक दरिंदा तैनात कर दिया था जिसने मौका पाते ही उस कली को कुचल दिया और उसके जीवन में दुःख, दर्द, और कभी ना भूलने वाला काला अतीत छोड़ दिया!
लेकिन वो हारी नहीं, और आगे बढ़ती रही...
जी हाँ, इस उपन्यास में आप एक ऐसी कहानी पढ़ेंगे जो आपको दर्द तो देगी ही पर मुस्कुराने के भी बहुत मौके देगी!
शुभकामना
शलभ सिंह
तालिका
एक उत्तरजीवी (मार्मिक उपन्यास)
कॉपीराइट
तालिका
दो शब्द
बंधन और सीमायें
बुरी नजर वाला
यातना के बाद
घर आने के बाद
मीटिंग रूम में
अभिषेक और मैं
अगले दिन
पार्क से आने के बाद
अगली सुबह
सुख ही सुख
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