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’जिंदाबाद-मुर्दाबाद’ एक व्यंग्य उपन्यास है जिसमें गांव की राजनीति है। सरपंच के चुनाव होने वाले हैं। सरपंच पद के लिए खड़े प्रत्याशियों के बीच जो दांव-पेंच भंाजी जा रही है। उम्मीदवारों को जिस प्रकार लुभाया जा रहा है। मतदाता जिस प्रकार काईयांपन का प्रदर्शन कर रहा है। उनसे इतना तो स्पष्ट हो ही जाता है कि देश की राजनीति हो या गांव की गंदगी की कमी कहीं नहीं है।
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