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Shashi's poetry is simultaneously earthy and contemporary. This book contains poem with topics ranging from dowry to child labor in addition to the usual Love and Longing that most poets hone their craft on.
वो पूछते हैं
कविताओ मे क्या हैं
पैसा हैं ईनाम हैं
या नाम हैं बहुत
रोटी मिलेगी घर चलेगा
चूल्हा जलेगा
भूख मिटाएगी कविता
या प्यास बुझाएगी कविता
प्रियसी के लिए तोहफे मे
क्या लाएगी कविता
मै मानता हूँ
ये रोटी और दाल नहीं देगी
तन पे कपड़ा
पसीना पोछने को रुमाल नहीं देगी
वैसे तो मै भी कमा लेता हूँ
चार पैसे
दौड़ता हूँ खटता हूँ
धूल खाता हूँ
बरसात भीगता हूँ
दुनिया समझती हैं मशीन मुझे
सुबह मशीन बन
पेट की खातिर
ईंधन जुटाता हूँ
रात कविता करता हूँ
इंसान हो जाता हूँ
जैसे तन के लिए रोटी सुविधा हैं
मन के लिए कविता हैं
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