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श्री राम का इंतज़ार
शुभम पाठक
विषय तालिका
आज़ादी से पहले
लालकिले में
शाम घर में
शाम उम्मीदों की
अँगरेज़ साहेब
पंद्रह वर्षों के बाद
एक वर्ष के बाद
लंदन
इंग्लैंड में पढ़ाई और मार्गेरेट से मुलाकात
पांच वर्ष बाद भारत वापसी
फिर से नया जीवन
भारत बदल गया
परिचय
दुनिया के करोड़ों लोगों के श्रद्धेय श्री राम जी को मन में रखकर ही मैं बड़ा हुआ और जीवन के आठवें दशक में प्रवेश किया है, परन्तु मैं आज भी श्री राम के इंतजार में हूँ, हालाँकि समय की यात्रा के दौरान बहुत सी ऐसी घटनाएं हुई और बहुत से ऐसे लोग मिले जो मुझे ये यकीन दिलाने की कोशिश करते रहे के अब राम राज्य आ गया है, मैं आज भी श्री राम जी का इंतजार कर रहा हूँ।
इसको पढ़ने के बाद आप अवश्य ही बहुत कुछ सोचने को मजबूर हो जाएंगे और आप गंभीर होकर शायद दुनिया और समाज के प्रति अपना रवैया भी बदलने को तैयार हो जाएँ।
मैं सभी धर्मो का सम्मान करता हूँ और प्राकृतिक रूप से ही मेरा सर दुनिया के सभी प्रचलित देवी देवताओं के सामने झुक जाता है। चलते चलते मेरे कदम अक्सर ही रास्ते में पड़ने वाले हर मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे, मठ, और चर्च के सामने कुछ देर के लिए अवश्य ही रुक जाते हैं। मैं कुछ देर तक इन सभी पवित्र कही जाने वाली इमारतों को देखता हूँ और एक बार फिर से किसी कोने से अपने श्री राम जी को झांकते हुए देखने की कामना करता हूँ, पर आज तक ऐसा कभी भी नहीं हुआ है।
आइये आप भी मेरे साथ उस यात्रा पर चलिए जिसपर आप को भी मेरे साथ इंतज़ार करना पड़ेगा।
इस कथा का नायक गोपूराम अपने जीवन की कहानी भारत की आज़ादी के सिर्फ कुछ दिन पहले से आज तक के समय तक बहुत ही ईमानदारी और सच्चाई से प्रस्तुत करता है। उसकी कहानी को पढ़कर आपको भी ऐसा लगने लगेगा के कहानी के किसी ना किसी समयकाल या किसी ना किसी मोड़ पर आप भी उसकी कहानी में शामिल हो गए हैं।
तो आइये चलते हैं गोपूराम के साथ इस यात्रा पर!
शुभकामना
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