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श्रील प्रभुपादजीका उपदेशामृत (eBook)

श्रील प्रभुपादजीका उपदेशामृत
Type: e-book
Genre: Religion & Spirituality
Language: Hindi
Price: ₹100
(Immediate Access on Full Payment)
Available Formats: PDF

Description

[08 जनवरी, 2024 भारत के वृन्दावन में श्रील भक्तिमयूख भागवत गोस्वामी महाराज का तिरोभाव-दिवस था। श्रील भक्तिविज्ञान भारती गोस्वामी महाराज द्वारा 19 दिसंबर 2014 और 25 दिसंबर 2016 को उसी तिथि के उपलक्ष में परिवेषित कथा का भावानुवाद निम्नलिखित हैं। संपादकों का योगदान—सामग्री के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के लिए वर्गाकार कोष्ठकों में अतिरिक्त पाठ शामिल किया गया है।] आज विशेष तिथि है। यह श्रील भक्तिमयूख भागवत गोस्वामी महाराज की तिरोभाव तिथि है। श्रील भक्तिभूदेव श्रौति गोस्वामी महाराज से संन्यास लेने से पहले उनका नाम रूपविलास दास था। उनका साहित्यिक योगदान मठ में शामिल होने के बाद, श्रीरूपविलास दास ने संपादकीय विभाग में सेवा की। उन्होंने श्रील प्रभुपाद के तिरोभाव के उपरांत श्रील प्रभुपाद के ‘उपदेशामृत—प्रश्न और उत्तर’ को दो खंडों में संपादित और प्रकाशित किया। इस पुस्तक को पढ़ने से हर व्यक्ति को अपने सभी [भक्ति-संबंधी] प्रश्नों के उत्तर मिल जाएंगे।

About the Author

श्रील प्रभुपाद का अवदान
(‘जैवधर्म’ ग्रंथ के ‘प्रस्तावना’ से उद्धृत)
(ॐ विष्णुपाद अष्टोत्तरशत श्रीश्रीमद्भक्‍तिप्रज्ञान केशव गोस्वामी महाराज)
श्रील ठाकुर भक्तिविनोदने समग्र विश्वमें श्रीचैतन्यमहाप्रभु द्वारा प्रकटित धर्म-प्रचारकके मूल सेनापतिके रूपमें जिस महापुरुषको इस जगतीतल पर आविर्भूत कराया है, वे मदीय गुरुपादपद्म जगद्गुरु ॐ विष्णुपाद परमहंसकुल चूडामणि अष्टोत्तरशत श्री श्रीमद्भक्ति सिद्धान्त सरस्वती गोस्वामी ठाकुरके रूपमें समग्र विश्वमें सुपरिचित हैं। इन महापुरुषको जगत्‌में आविर्भूत कराना—श्रीमद्भक्तिविनोद ठाकुरकी एक अतुलनीय अभिनव कीर्ति है। साधु-वैष्णव समाज उन्हें संक्षेपमें ‘श्रील प्रभुपाद’ कहकर ही गौरव ज्ञापन करता है। मैं भी भविष्यमें उक्त परममुक्त महापुरुषके नामके स्थलपर ‘श्रील प्रभुपाद’ का उल्लेख करूँगा।
श्रील प्रभुपादने श्रील भक्तिविनोद ठाकुरके पुत्रके रूपमें या अन्वय रूपमें, यहाँ तक कि पारम्पर्य रूपमें आविर्भूत होकर समग्र विश्वमें श्रीमन् महाप्रभु श्रीचैतन्यदेव द्वारा आचरित और प्रचारित श्रीमाध्व गौड़ीय वैष्णवधर्मकी अत्युज्ज्वल पताका उत्तोलन करके धर्मराज्यका प्रभूत कल्याण और उन्नति-साधन किया है। अमेरिका, इंग्लैण्ड, जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन, स्विटजरलैण्ड और बर्मा आदि सुदूर पश्चिमी और पूर्वी देशसमूह भी इन महापुरुषकी...

Book Details

Publisher: श्रीभक्तिप्रज्ञान गौड़ीय वेदान्त विद्यापीठ प्रकाशन, हेसरघट्टा, बेंगलुरु-560088
Number of Pages: 150
Availability: Available for Download (e-book)

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