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इस संख्या के सृजनकार-
* जन लेनन * रुमी * प्रेमचंद * भवानी प्रसाद मिश्र * नेहरु * सत्य प्रकाश ’भारतीय़’ * शत्रुघ्न प्रसाद साह * मीना देवी * सुनील गंगोपाध्याय * मन्दाक्रान्ता सेन * बेणुबिनोद साहु * देबाशीष मित्र * अमित चक्रवर्ती * चंचल चट्टोपाध्याय *
संपादकीय
पिछले साल कोलकाता पुस्तक मेला में पाया कि बंगला की तुलना में हिन्दी पुस्तक भंडारों में बहुत कम भीड़ थी। यह बात अलग है कि हिन्दी पुस्तकों के स्टॉल ही कम थे। उसके के कुछ दिन बाद रवीन्द्र सदन प्रांगण में लघु पत्रिका (लिटिल मैगजीन) मेला आयोजन किया गया था जिसमें बंगला के तमाम लेखक अपनी लघु पत्रिका के साथ हाज़िर थे। देखकर एक अजीब सी खुशी हुई। उत्साहवश पूरे मेला को घूमकर देखने की इच्छा मन में इस लालसा के साथ उत्पन्न हुई कि कहीं हिन्दी के भी एक-दो लघु पत्रिका देखने को मिल जाए, पर निराशा ही हाथ लगी। दूसरे ही दिन अपने कार्यालय के सहकर्मीगण से, जो बंगला लेखन से जुड़े हुए हैं, बात हुई और इस प्रदेश में हिन्दी साहित्य के लघु पत्रिका के मरुस्थल में एक मरुतृण उगाने की सोच पैदा हुई एक छोटी सी आशा के साथ कि "शायद और भी तृण इस मरु में उग आयें और आप हमारे साथ हो लें”
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