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अलविदा (प्रेम और परिवार)
सुनयना कुमार
तालिका
दो शब्द
मेरे और उसके बारे में
मेरी लिली
कीमोथेरेपी और बच्चे
छोटा रोबर्ट
मेरा घर
दरवाजे पर दस्तक
अजनबी
विदाई और अंतिम संदेश
अपनी पत्नी को धीरे धीरे मरते हुए देखने के अनुभवों को एक लेखक इतने सुन्दर ढंग से कागज़ पर उतार सकता है ये शायद आप कभी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं! कैंसर से पीड़ित पत्नी के अंतिम पलों तक लेखक हर घटना को इतने सुन्दर ढंग से कागज़ पर उतारता है के शायद ही कोई पाठक ऐसा होगा जिसकी आँखों में आंसू ना आ जाएँ!
ये कहानी है लिली, उसके पति और लेखक बिली ब्रंट, और रोबर्ट नाम के एक लड़के की जिसको उन्होंने माँ बाप की तरह ही पांच वर्ष की उम्र से सोलह वर्ष की उम्र तक संभाला था और उसको भी लेखक बनाने में उसका पूरा मार्गदर्शन किया था!
मैं ये यकीन से कह सकती हूँ के मेरी ये कहानी आपके दिल में जरूर पहुँच जाएगी और आप इसको बार बार पढ़ना चाहेंगे!
शुभकामना
सुनयना कुमार
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