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मुंडेर पर बैठी कवितायेँ (eBook)

काव्य कोष
Type: e-book
Genre: Poetry
Language: Hindi
Price: ₹71
(Immediate Access on Full Payment)
Available Formats: PDF

Description

दो शब्द, दिल से…..

मां सरस्वती नें कब कृपा कर दी और मैं कवितायेँ लिखने लगा, पता ही नहीं चला और मैं कवि बन बैठा। आनन फानन में २१ पुस्तकें लिख डाली।
१६ पुस्तकें प्रकाशित भी हो चुकी हैं।ये सत्तरहँवी पुस्तक है।
नाम भी मां नें सुझा दिया:-

"मुंडेर पर बैठी कवितायेँ "

सच में , लिख तो बहुत पहले दी थीं, मुंडेर पर बैठी हुईं थीं, प्रकाशित होने की प्रतीक्षा मे। जो व्यस्ततता के कारण मैं कर नहीं पा रहा था।
तो चलिए अंततः प्रतीक्षा की घड़ियाँ समाप्त हुईं।
प्रस्तुत है मेरी सत्तरहवीँ प्रकाशित काव्य पुस्तिका,

"मुंडेर पर बैठी कवितायेँ "

पाठन का आनंद ले।

सुभाष सहगल

"मुंडेर पर बैठी कवितायेँ "

कुछ ऊपर, कुछ नीचे,
कुछ दाएं, कुछ बाएं,
ताक रहीं थी मौका,
कि पुस्तक में घुस जाएं,

मुंडेर पे बैठी कविताएं।

जी हां.....

मुंडेर पे बैठी मेरी कविताएं।

चाह थी सब की बस एक ही,...

About the Author

*सुभाष सहगल*
*सुभाष सहगल* भारतीय फिल्म उद्योग में एक प्रमुख व्यक्ति हैं, उन्हें सिनेमा के बेहतरीन सम्पादकों में से एक माना जाता है, उत्कृष्ट लेखन शक्ति के साथ सबसे नवीन कवि, उत्कृष्ट गीतकार, टेलीविजन के लिए तेज संपादक और मीडिया और मनोरंजन में कई नौसिखियों के करियर को संवारने में उन्होंने योगदान दिया है, एक दार्शनिक जो समाज के उत्थान के लिए कई स्वायत्त/गैर-स्वायत्त निकायों, ट्रस्टों और गैर-लाभकारी उद्यमों से जुड़े रहे हैं।
सुभाष सहगल साहित्य, फिल्म निर्माण, संस्कृति और आधुनिक तकनीक का बेहतरीन मिश्रण हैं। एक संपादक के रूप में उनके काम का दायरा विशाल और विविध है। टेलीविजन के लिए लोकप्रिय धारावाहिक हैं *रामानंद सागर की रामायण,* विक्रम बेताल, दादा दादी की कहानियां, श्री कृष्णा, मिर्जा गालिब आदि और फिल्मों के लिए वारिस, इजाज़त, लेकिन, तेरी मेहरबानिया, सलमा, बादल, चन परदेसी, एक चादर मैली सी ,कचहरी,आदि कुछ नाम हैं। अब तक उन्होंने *250 से अधिक फिल्में की हैं।*
एक निर्माता...

Book Details

Publisher: काव्यमंथन
Number of Pages: 169
Availability: Available for Download (e-book)

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मुंडेर पर बैठी कवितायेँ

मुंडेर पर बैठी कवितायेँ

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