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रामायण, महाभारत और पुराण धर्मग्रन्थ हैं या साहित्य?
धर्मग्रन्थ पाठकों को कुछ पूर्व निर्धारित विचारधाराओं में विश्वास करने के लिए प्रेरित करते हैं। अक्सर यह माना जाता है कि वे ईश्वर की देन हैं और कोई मनुष्य उनमें परिवर्तन नहीं कर सकता।
इसके विपरीत, साहित्य पाठकों को स्वतन्त्र रूप से पुनर्विचार के लिए प्रेरित करता है।
तुलसीदास ने अपनी कल्पना से वाल्मीकि की साहित्यिक रामायण को रामचरितमानस में एक धर्मग्रन्थ का रूप दिया था।
इस पुस्तक के नाटक रामायण, महाभारत और पुराणों को प्रतिभाशाली साहित्य मानते हैं। यह उन पाठकों के लिए हैं जिनमें नाटकों के बारे में सोच कर अपनी व्यक्तिगत राय प्रकट करने की क्षमता है।
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