You can access the distribution details by navigating to My pre-printed books > Distribution
स्वस्तिक प्रतिक अत्यंत प्राचिन प्रतिक हैं जीसका उदभव आर्य संस्क्रुति और आर्य धर्मसे माना जाता हैं । स्वस्तिकको प्रतिकोंका विश्वगुरु माना जाता हैं क्युंकी मानव उत्पत्तिका ये सर्व प्रथम चिन्ह हैं । हजारों वर्षोंसे स्वस्तिका प्रतिक ही एक ऐसा प्रतिक हैं जो विश्वव्यापी और विश्वमें सर्वमान्य हैं । स्वस्तिक प्रतिकका उपयोग विश्वके सारे खंडोमे पाया गया हैं । मानव जातीके ये सर्वप्रथम प्रतिकका उपयोग पुरातन युगोंसे ही हर संस्क्रूति, सभ्यता और धर्मोंमें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूपसे होता आया हैं । स्वस्तिक विश्वकी हर मानवजातीका अत्यंत प्राण प्रिय प्रतिक है क्युंकी स्वस्तिक चिन्हको पुरातन कालसे ही एक आध्यात्मिक, शुभकारी, लाभकारी पुण्यकारी और मौक्षदायी प्रतिकके रूपमें आदरणीय, सन्माननीय और पूजनीय माना गया हैं । स्वस्तिकको पश्चिमी देशोमें प्रेम, प्रकाश, जीवन और सौभाग्यका चिन्ह भी माना जाता हैं । विश्वकी सर्वप्रथम मानव संस्क्रुति आर्यसंस्कृति और आर्यधर्म या सनातनधर्मसे लेकर मायन, यहुदी, एझटेक, इन्का, पेगन, ताओ, शींतो, क्रिश्चियन, इस्लाम जैसे अन्य धर्मों और...
Currently there are no reviews available for this book.
Be the first one to write a review for the book स्वस्तिकगंगा.