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अगड़म-बगड़म भावों के अतिरेक से निकली है। इसमें सभी रंग हैं। चेतना की तरंगों के साथ भाव भी तरंगित होते हैं। इसमें क्षणिक अावेग भी हैं और शाश्वत प्रश्न भी। अाशा है कि ये कविताएं कहीं न कहीं सभी के जीवन को छुएंगीं और मन के भावों को प्रतिध्वनित करेंगीं।
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