You can access the distribution details by navigating to My pre-printed books > Distribution
बीनू की सतसई शीर्षक मेरे दोहों का संकलन है। सतसई अर्थात 700 इस संग्रह में विभिन्न विषयों पर 711 दोहे संकलित है।
दोहा संभवतः हिंदी का सर्वाधिक प्रचिलित छंद है जो आदि काल से अब तक लोकप्रिय है। दोहे में कम शब्दों में बहुत गहरी बात कह देने की क्षमता है।
मैने दोहे के विषय मे ही कुछ दोहे लिखे हैं जो मैं चाहती हूँ कि इस पुस्तक
के मुखपृष्ट पर अंकित हों।
एक दोहा अपने में पूर्ण अर्थ व्यक्त करता है। ये सभी दोहे पिछले दो वर्षों में अलग अलग समय पर लिखे गये हैं। बाद में विषयानुसार उन्हे अध्यायों में बाँटा गया है।
मैने इससे पहले छंदमुक्त कवितायें ही लिखी थीं जिनके दो संकलन आ चुके हैं।पहले संकलन में कुछ हाइकु भी है।
मुझे दोहे लिखना स्व. श्री प्राण शर्मा जी ने सिखाया। कुछ इंटरनैट पर पढ़ा और दोहे लिखने का धीरे धीरे अभ्यास किया। प्राण शर्मा जी की इच्छा थी की मैं सात सौ दोहे पूरे करूँ और मैने किये भी, पर अब वो नहीं हैं। ये मेरी अपने गुरुवर को श्रद्द्धाजंलि है।
ये मेरा पहला प्रयास था इसलिये गुरुवर के जाने के बाद मैने अपने संशय दूर करने के लिये अपनी मित्र आगरा कॉलिज आगरा की प्रोफैसर डॉ शशि तिवारी जी से भी संपर्क किया, उन्होने कई बातों पर मुझे महत्वपूर्ण सलाह दी, मै उनकी आभारी हूँ।
मैने दोहों मे आध्यात्म सांप्रदायिक सद्भाव, समय, संगीत, सुर ताल, साहित्य, भाषा लेखन, राजनीति, प्रकृति जैसे विषयों को दोहों में समेटने का प्रयास किया है।यथासंभव दोहे के नियमों का पालन किया है। भाषा खड़ी बोली होते हुए भी देशज शब्दों से परहेज नही कियाहै। नियमों को ध्यान में रखा है पर उन्हे भावपक्ष पर हावी नहीं होने दिया है। दोहे की लय कहीं न टूटे इसका विशेष ध्यान रखा है। मैने इन दोहों को लिखने और सतसई के रूप में संजोने में बहुत मेहनत की है।ये पाठक तक पंहुचते हैं और उन्हे पसंद आते है तो मेरी मेहनत सफल होगी।
मैं वैज्ञानिक सोच पर विश्वास रखती हूँ इसलिये सभी धार्मिक कुरीतियों और अंधविश्वास का विरोध करते हुए प्रकृति के हर कण मे ईश्वर के होने की बात की है।मेरी नजर में हर धर्म संसकृति है परम्परा है। पूजा या नमाज़ भगवान या अल्लाह अलग नहीं है।
Currently there are no reviews available for this book.
Be the first one to write a review for the book Binu Ki Satsai: (Doha Sangrah).