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जिस सुख के बाद दुःख आए, उसे सुख कैसे कहेंगे? यह तो टेम्परेरी सुख हैं और कल्पित हैं, माना हुआ है| सुख तो परमानेन्ट होता है|सुख खुद के अंदर है, आत्मा में है| अत: जब आत्मा प्राप्त करता है, तब सनातन (सुख) प्राप्त होगा| अधिक जाने प्रस्तुत पुस्तक द्वारा|
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