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चिंता अर्थात अग्नि जो निरंतर जलती रहती है| चिंता वाले के यहाँ लक्ष्मी नहीं टिकती| जगत कौन चलाता हैं, समझ में आ जाए तभी चिंता जाएगी। दादाश्री के जीवन का एक उदाहरण है, जब उन्हें व्यापार में घाटा हुआ, तो वे किस तरह चिंता मुक्त हुए जानने के लिए पढ़े
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