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त्रिमंत्र का मूल अर्थ यदि समझे तो उनका किसी भी व्यक्ति या संप्रदाय या पंथ से कोई संबंध नहीं है।ज़्यादा अडचनों की स्थित में घंटाभर बोलें तो सूली का घाव सुई से टल जाएगा। निष्पक्षपाती त्रिमंत्र किस तरह से हितकारी हैं, इसका खुलासा इस पुस्तक में किया है।
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