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सच्चा प्रेम तो वह होता है जो कभी कम या ज़्यादा ना हो और उसमें किसी प्रकार की अपेक्षा ना हो|ऐसा सच्चा प्रेम तो बस ज्ञानी कर सकते है जिन्हें लोगो में कोई भी भेदभाव मालूम नहीं होता इसलिए उनका व्यवहार सबके साथ बहुत ही स्नेहपूर्ण होता है|
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