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अयोध्या 6 दिसम्बर, 1992 से 22 जनवरी, 2024 तक (eBook)

एक पत्रकार के रूप में बाबरी मस्जिद ढहने और राम मंदिर बनने की आँखों देखी कहानी
Type: e-book
Genre: History
Language: Hindi
Price: ₹69
(Immediate Access on Full Payment)
Available Formats: PDF

Description

भारत के अयोध्या धाम में 6 दिसम्बर, 1992 को राम जन्मभूमि पर बनाई गई बाबरी मस्जिद को राम भक्तों ने ध्वस्त कर इतिहास रच दिया। दूसरा इतिहास 22 जनवरी, 2024 को उसी स्थान पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। भव्य और दिव्य राम मंदिर बन रहा है। संपूर्ण विश्व आह्लादित है। हर खास-ओ-आम इस भव्य समारोह का साक्षी बना।
अयोध्या का यही वह स्थान है, जहां भगवान श्रीराम ने जन्म लिया और आतताई रावण का श्रीलंका जाकर वध किया। उन्होंने संदेश दिया कि स्त्री का सम्मान न करने वाले का समूल नाश हो जाता है। श्रीराम ने हमें हर स्तर पर मर्यादा का संदेश दिया है। वाल्मीकि कृत रामायण और तुलसीदास कृत रामचरितमानस पढ़ें तो ज्ञात होता है कि श्रीराम ने साधु-संतों का ही नहीं, शापित अहिल्या, नाविक निषादराज, और प्रतीक्षारत शबरी का भी कल्याण किया है। इस तरह राम सबके हैं।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कितनी सुंदर बात कही है- “यह मंदिर मात्र एक देव मंदिर नहीं है। यह भारत की दृष्टि का, भारत के दर्शन का, भारत के दिग्दर्शन का मंदिर है। यह राम के रूप में राष्ट्र चेतना का मंदिर है।”
इस तरह राम मंदिर भारत के विकसित भारत और विश्व गुरु बनने की ओर सार्थक कदम है।
एक पत्रकार के रूप में मैंने 6 दिसम्बर, 1992 का घटनाक्रम देखा है। 6 दिसम्बर को जान हथेली पर रखकर की गई यह रिपोर्टिंग अपने आप में अभूतपूर्व, अविस्मरणीय और आनंददायक है।
‘अयोध्याः 6 दिसम्बर, 1992 से 22 जनवरी, 2024 तक’ पुस्तक में आप क्या पाएंगे-
1990 के राम मंदिर आंदोलन की झलक, जिसमें मुलायम सिंह यादव सरकार ने कारसेवकों पर गोलियां चलवाई थीं।
6 दिसम्बर, 1992 को अयोध्या में हुई कारसेवा का आँखों देखा हाल।
क्या भगवान राम के भक्त हनुमान जी ने भी 6 दिसम्बर को कार सेवा की थी, इस प्रश्न का उत्तर खोजने का प्रयास किया गया है।
दो सरदार जब मेरी जान लेन पर उतारू थे तो पत्रकारीय बुद्धि से बचने की तरकीब।
1990 के बाद की पीढ़ी को राम जन्म भूमि को मुक्त कराने के लिए हुए 77वें युद्ध की सटीक जानकारी।
22 जनवरी, 2024 को राम मंदिर के उद्घाटन के समय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास अयोध्या के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि महाराज और दुनिया के सबसे बड़े सामाजिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चीफ डॉ. मोहन भागवत का संपूर्ण भाषण।
सुंदर चित्रों से सुसस्जित यह पुस्तक रोचक, ज्ञानवर्धक ही नहीं, एक ऐतिहासिक दस्तावेज है।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन ने कहा है- “मैं यही कहूंगा कि, वही मेरा सबसे अच्छा दोस्त है, जो मुझे ऐसी किताब दे जो आज तक मैंने न पढ़ी हो।”
अयोध्याः 6 दिसम्बर, 1992 से 22 जनवरी, 2024 तक ऐसी ही पुस्तक है।

फिर विलम्ब क्यों? आज ही BUY पर क्लिक कीजिए और अपना, अपने परिजनों और मित्रों का जीवन खुशहाली से परिपूर्ण कर दीजिए।

About the Author

Dr. Bhanu Pratap Singh, MBA, Ph.D.
• was the first person in India to get a Ph.D. from Dr. Bhimrao Ambedkar University in Agra in the management field in Hindi.
• The name was featured in the 2008 survey for research conducted in Hindi at number 9 on page 83 by 'The Survey of India,' an entity under the Government of India.
• Books are listed in the Uttar Pradesh, India, government's regional archives.
• specialized investigation on the Fatehpur Sikri World Heritage Site in Agra, Uttar Pradesh, India.
• awarded numerous national and international honors for excellence in journalism and writing.
• 11 books have been published, 6 books are awaiting publication, and 7 books have been edited, which covered a variety of topics including social issues, history, autobiography, and biography.
• Editors and journalists started a number of prominent newspapers.
• 34 years of journalism experience have set numerous records in the writing and journalism domains.
Mail: bhanuagra@gmail.com

Book Details

Number of Pages: 212
Availability: Available for Download (e-book)

Ratings & Reviews

अयोध्या 6 दिसम्बर, 1992 से 22 जनवरी, 2024 तक

अयोध्या 6 दिसम्बर, 1992 से 22 जनवरी, 2024 तक

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1 Customer Review

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Dr Bhanu Pratap Singh 9 months, 1 week ago

शानदार

ज्ञानवर्धक, साहसपूर्ण कहानी, राम जी की कहानी, गुलामी के प्रतीक को जमींदोज करने की कहानी, सबको पढ़नी चाहिए।

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